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इन शिवलिंगों की पूजा से पांडवों को मिली थी युद्ध में विजय, यहां रखा है भीम का ढोल

भारत में ऐसे अनेक देवमंदिर हैं जिनका संबंध रामायण और महाभारत काल से है। उनमें आज भी ऐसी वस्तुएं अथवा चिह्न मौजूद हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए किसी आश्चय से कम नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश के करसोगा घाटी में स्थित भगवान शिव का एक मंदिर भी अपनी प्राचीनता और श्रद्धा के लिए जाना जाता है।
इन शिवलिंगों की पूजा से पांडवों को मिली थी युद्ध में विजय, यहां रखा है भीम का ढोल

भारत में ऐसे अनेक देवमंदिर हैं जिनका संबंध रामायण और महाभारत काल से है। उनमें आज भी ऐसी वस्तुएं अथवा चिह्न मौजूद हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए किसी आश्चय से कम नहीं हैं।

हिमाचल प्रदेश के करसोगा घाटी में स्थित भगवान शिव का एक मंदिर भी अपनी प्राचीनता और श्रद्धा के लिए जाना जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह मंदिर बहुत पुराना है। इसे महाभारत काल का मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में कुछ ऐसी चीजें रखी हैं जिनका संबंध पांडवों से है।

अनूठी हैं मंदिर की ये चीजें

यह मंदिर करसोगा घाटी के ममेल गांव में स्थित है। इ​सलिए शिवजी का यह मंदिर ममलेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। महाभारत काल में पांडव यहां आए थे। उन्होंने यहां भगवान का पूजन किया और युद्ध में विजयश्री का आशीर्वाद प्राप्त किया था। यहां उनकी कुछ अनूठी चीजें रखी हैं।

यहां गेहूं का एक विचित्र दाना रखा हुआ है। इसका वजन करीब 200 ग्राम है। वहीं एक दिव्य ज्योति भी जल रही है। मान्यता है कि यह महाभारत के समय से ही लगातार जल रही है। जब भीम ने इस इलाके में किसी उत्पाती राक्षस का वध किया तो लोगों ने उनके सम्मान में यह ज्योति जलाई।

पास में ही एक विशाल ढोल रखा है। कहा जाता है कि यह भीम का ढोल है। जब उन्हें प्रसन्नता होती तो वे यह ढोल बजाया करते थे। इस मंदिर को और खास बनाते हैं यहां के पांच शिवलिंग। मान्यता है कि इन्हीं शिवलिंगों की पूजा किसी जमाने में पांडवों ने भी की थी। इस तरह श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव की पूजा करने के साथ ही उन वस्तुओं को भी देखते हैं जिनका संबंध हमारे इतिहास से है।

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