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आश्चर्य! यहां भगवान भी खाते हैं चाॅकलेट

देवमंदिरों में श्रद्धालु भगवान को भोग अर्पित करते हैं। अक्सर यह पूछा भी जाता है कि जो परमात्मा सभी पदार्थों का दाता और सृष्टि का निर्माता है, उसे भला मनुष्य कोई वस्तु कैसे दे सकता है? वास्तव में प्रसाद लेन—देन का पदार्थ नहीं, यह तो श्रद्धा का एक मूर्त रूप है। प्रसाद के जरिए भक्त
आश्चर्य! यहां भगवान भी खाते हैं चाॅकलेट

देवमंदिरों में श्रद्धालु भगवान को भोग अर्पित करते हैं। अक्सर यह पूछा भी जाता है कि जो परमात्मा सभी पदार्थों का दाता और सृष्टि का निर्माता है, उसे भला मनुष्य कोई वस्तु कैसे दे सकता है?

वास्तव में प्रसाद लेन—देन का पदार्थ नहीं, यह तो श्रद्धा का एक मूर्त रूप है। प्रसाद के जरिए भक्त अपने भगवान को और करीब महसूस करता है। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो पूजन पद्धति के साथ ही विशेष प्रसाद के कारण प्रसिद्ध हैं।

इन्हीं मंदिरों में एक है — केरल के अलप्पुझा में स्थित बालासुब्रमण्यम मंदिर। यहां भगवान मुरुगन को पूजा के दौरान भक्त चॉकलेट का भोग चढ़ाते हैं। यह परंपरा इतनी ज्यादा प्रसिद्ध हो गई कि अब लोग भगवान मुरुगन के इस मंदिर को चॉकलेट टेंपल के रूप में भी जानने लगे हैं।

भगवान मुरुगन शिवजी के पुत्र हैं। इन्हें कार्तिकेयजी के नाम से भी पूजा जाता है। इन्हें मिठाई अत्यंत प्रिय है। इसलिए भक्त चॉकलेट का भोग चढ़ाते हैं। एक बार भगवान को भोग ​अर्पित करने के बाद यह पुन: श्रद्धालुओं में ही बांट दिया जाता है।

अब यह मंदिर चॉकलेट के कारण खासा मशहूर हो चुका है। वहीं अक्सर लोग यह भी जानना चाहते हैं कि यहां भगवान को चॉकलेट चढ़ाने की परंपरा कैसे शरू हुई। माना जाता है कि एक बार यहां दर्शन करने आए बच्चों ने प्रसाद के रूप में चॉकलेट चढ़ा दी। इसके बाद यह एक रस्म बन गई। अब लोग काफी मात्रा में यहां रोज चॉकलेट चढ़ाते हैं।

 

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