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भगवान विष्णु का भक्त है ये मगरमच्छ, जो मांस नहीं प्रसाद खाकर है जिंदा

क्या कोई मगरमच्छ भी शाकाहारी हो सकता है? शाकाहारी भी ऐसा कि सिर्फ मंदिर का प्रसाद खाकर जीवित रहे और तालाब की मछलियों को कोई नुकसान न पहुंचाए! ऐसी कल्पना बहुत आश्चर्यजनक होगी परंतु यह पूरी तरह सत्य है। भारत के एक प्रसिद्ध मंदिर के पास स्थित तालाब का मगरमच्छ अपनी इन्हीं खूबियों के कारण
भगवान विष्णु का भक्त है ये मगरमच्छ, जो मांस नहीं प्रसाद खाकर है जिंदा

क्या कोई मगरमच्छ भी शाकाहारी हो सकता है? शाकाहारी भी ऐसा कि सिर्फ मंदिर का प्रसाद खाकर जीवित रहे और तालाब की मछलियों को कोई नुकसान न पहुंचाए! ऐसी कल्पना बहुत आश्चर्यजनक होगी परंतु यह पूरी तरह सत्य है।

भारत के एक प्रसिद्ध मंदिर के पास स्थित तालाब का मगरमच्छ अपनी इन्हीं खूबियों के कारण प्रसिद्ध है। श्रद्धालु और मंदिर के प्रबंधन से जुड़े लोग कहते हैं कि उन्होंने कभी इस मगरमच्छ को हिंसक होते नहीं देखा। इसने कभी किसी दर्शनार्थी को नुकसान नहीं पहुंचाया।

इस मगरमच्छ का नाम बाबिया है। यह केरल के कोच्चि जिले में अनंतपुरा मंदिर के पास एक झील में रहता है। नौवीं शताब्दी में बने इस मंदिर से अनेक कथाएं जुड़ी हैं। इन्हीं कथाओं में से कई घटनाएं बाबिया मगरमच्छ के नाम हैं।

एक की मौत के बाद दूसरा मगरमच्छ

यह भी कहा जाता है कि मंदिर निर्माण से लेकर आज तक कई मगरमच्छ यहां आ चुके हैं। सबका व्यवहार एक जैसा ही रहता है। जब एक मगरमच्छ देह त्याग देता है तो उसके बाद दूसरा यहां चला आता है। उसकी जीवनचर्या भी पूर्ववत ही रहती है।

विष्णु का भक्त बाबिया

बाबिया के बारे में लोग कहते हैं कि यह भगवान विष्णु का भक्त है, इसीलिए पूर्णत: शाकाहार पर निर्भर है। आमतौर पर कोई मगरमच्छ शाकाहारी नहीं होता।

मछली नहीं, खाता है ये चीजें

श्रद्धालु इसे गुड़, नारियल, चावल आदि खाद्य पदार्थ भेंट करते हैं। इन्हें यह बहुत खुश होकर खाता है। बाबिया मगरमच्छ जंतुओं के व्यवहार का कोई रहस्य है अथवा विज्ञान की कोई अद्भुत पहेली — यह अध्यात्मक के साथ ही शोध का विषय हो सकता है।

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