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देश के लिए कभी गोल्ड लाने वाली इस खिलाड़ी को आज चरानी पड़ रही हैं भैसें

भारत जैसे देश में सिर्फ चुनिंदा खेलों को तवज्जो दिया जाता है और उसकी परीणाम है जिसकी वजह से कई खिलाड़ियों का करियर बर्बाद हो जाता है । क्रिेकेट, हॉकी जैसे खेलों को छोड़कर फिर बांकी कई खेल ऐसे है जिन्हों देश में अहमियत नहीं दी जाती है , देश एक खेल के ऐसे ही
देश के लिए कभी  गोल्ड लाने वाली इस खिलाड़ी को आज चरानी पड़ रही हैं भैसें

भारत जैसे देश में सिर्फ चुनिंदा खेलों  को तवज्जो दिया जाता है और उसकी परीणाम है जिसकी वजह से कई खिलाड़ियों का  करियर बर्बाद हो जाता है ।  क्रिेकेट, हॉकी जैसे खेलों को छोड़कर फिर  बांकी कई खेल ऐसे है जिन्हों देश में अहमियत नहीं दी जाती है , देश एक खेल के ऐसे ही खिलाड़ी की कहानी आपको बताने जा रहा है जिसने कभी देश के लिए जीता गोल्ड पर आज चरानी पड़ रही हैं भैंसे ।

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कबड्डी के क्षेत्र में 2012 से 2013 में लोहा मनवाने वाली रामभतेरी गिल ने सरकार की अनेदखी के चलते  इस खेल को अलविदा कह दिया है । बताया जा राह है की रामभतेरी गिल अभी घर का चौका चूल्हा संभाल रही हैं , कभी देश में विदेश में कबड्डी के द्वार देश  का नाम रोशन करने वाली रामभतेरी अब पशुओं की सेवा कर रही हैं।

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कबड्डी की यह खिलाड़ी रही रामभितरी की  इस बात को लेकर नाराजगी है कि उनकी सरकार के द्वारा अनदेखी की गई है, उन्हें नौकर भी हासिल नहीं हो सकी , और  इसलिए घर के कामों में भी उसे पारंगत करना पड़ेगा। रामभतेरी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के गृहक्षेत्र टोहाना के गांव समैण की निवासी है।

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कबड्डी़ की इस खिलाड़ी का आरोप है कि सरकार का बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं का नारा सिर्फ कागजों में है , धरातल पर  ज्यादा कुछ नजर नहीं आता है । वे खिलाड़ियों के प्रति सरकार के रवैया से काफी नाखुश है उनका मानना है कि खिलाड़़ियों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता है।

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