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बारिश के बाद उमस से चक्कर और बेहोशी का खतरा बढ़ जाता है

जयपुर। सावन की रुत किसे पंसद नही होती है। जी हां, बारिश का मौसम यानी प्यार का मौसम। मगर इस इश्क़ के मौसम में अक्सर वातावरण में नमी और आर्द्रता की मिलीभगत होने से हमारा शरीर कंफ्यूज हो जाता है। इन दिनो मॉनसून में हल्की बरसात के बाद होने वाली उमस जीना दूभर कर देती
बारिश के बाद उमस से चक्कर और बेहोशी का खतरा बढ़ जाता है

जयपुर। सावन की रुत किसे पंसद नही होती है। जी हां, बारिश का मौसम यानी प्यार का मौसम। मगर इस इश्क़ के मौसम में अक्सर वातावरण में नमी और आर्द्रता की मिलीभगत होने से हमारा शरीर कंफ्यूज हो जाता है। इन दिनो मॉनसून में हल्की बरसात के बाद होने वाली उमस जीना दूभर कर देती है। क्योंकि इस समय में हमारा शरीर एक अजीब सी कशमकश में फंस जाता है। यही वजह है कि कई बार तो चक्कर आकर आप बेहोश भी हो सकते हैं।

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क्योंकि ऐसे मौसम से बचने के लिए सबके घरों में एसी तो होता नहीं है। ऐसे में कई बार भारी उमस की वजह से अक्सर खाते पीते घर के लोग भी बिना किसी कमजोरी के यूंही चक्कर खाकर या गश खाकर गिर जाते हैं। क्योंकि उमस आपके शरीर में पानी की कमी पैदा कर देती है। साथ ही इस वजह से दिमाग में खून का परिसंचरण भी काफी बाधित होने लग जाता है।बारिश के बाद उमस से चक्कर और बेहोशी का खतरा बढ़ जाता है

इसी वजह से ब्लड प्रेशर भी काफी कम हो जाता है। बहुत ज्यादा पसीना आने लगता है। साथ ही पीड़ित के शरीर में शुगर लेवल भी बहुत कम हो जाता है। इस वजह से धड़कन भी कई बार कम हो जाती हैं। अगर ऐसा कोई मामला आपके सामने घटित हो तो तुरंत उस बंदे को खुली हवा में सीधा लिटा दें। इसके बाद उसके हाथ पैर थोड़े ऊपर की तरफ कर दें। ऐसा करने पर खून का बहाव सही हो जाता है। ठंडे पानी के अंदर एक कपड़ा गीला करके उसे माथे पर लगाए। बेहोश बंदे के करीब लोगों की भीड़ जमा ना होने दे।बारिश के बाद उमस से चक्कर और बेहोशी का खतरा बढ़ जाता है

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क्योंकि ऐसा होने से उसे और ज्यादा घुटन महसूस होगी। उस बंदे को ठंडी जगह या एसी वाले कमरे में लिटाए। साथ ही उसका सिर ऊंचा उठाकर उसे पानी भी पिलाएं। मगर बड़ी सावधानी से पानी पिलाएं। क्योंकि कई बार बेहोशी में पिलाया गया पानी सीधा फेफड़ों में चला जाता है। सो अगर वह हार्ट और किडनी का रोगी है तो पानी ना पिलाए, और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।बारिश के बाद उमस से चक्कर और बेहोशी का खतरा बढ़ जाता है

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