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हिंदुस्तान का वास्तु Vs चीन का फेंगशुई – दोनों में से कौन है ज्यादा दमदार?

प्राय: हर देश में उसकी प्राचीन विद्याओं को अत्यंत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। वास्तु एवं ज्योतिष भारत के ऋषियों द्वारा हमें सौंपी गईं ऐसी विद्याएं हैं जिनका उद्देश्य हमारे जीवन को सुखमय बनाना है। आपने देखा होगा कि इन दिनों भारत में लोग चीनी वास्तुशास्त्र यानी फेंगशुई पर भी काफी विश्वास करते
हिंदुस्तान का वास्तु Vs चीन का फेंगशुई – दोनों में से कौन है ज्यादा दमदार?

प्राय: हर देश में उसकी प्राचीन विद्याओं को अत्यंत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। वास्तु एवं ज्योतिष भारत के ऋषियों द्वारा हमें सौंपी गईं ऐसी विद्याएं हैं जिनका उद्देश्य हमारे जीवन को सुखमय बनाना है। आपने देखा होगा कि इन दिनों भारत में लोग चीनी वास्तुशास्त्र यानी फेंगशुई पर भी काफी विश्वास करते हैं। वे फेंगशुई में बताई गईं खास वस्तुओं को घरों में लटकाते हैं। माना जाता है कि इससे सकारात्मक शक्ति एवं सौभाग्य का आगमन होता है। क्या आप जानते हैं कि भारतीय वास्तु एवं चीनी फेंगशुई में काफी समानताओं के बावजूद कई अंतर भी हैं। जानिए दोनों की कुछ बुनियादी बातों के बारे में।

— भारतीय वास्तु प्रकृति की पांच शक्तियों के सिद्धांत पर आधारित है। इनका नाम है — आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। वहीं फेंगशुई भी किसी न किसी रूप में इन्हें मानता है, परंतु वह मुख्यत: दो शक्तियों पर विश्वास करता है। इनमें पहली शक्ति सकारात्मक और दूसरी नकारात्मक होती है। इस प्रकार फेंगशुई के मूल में भारतीय पंच तत्व का सिद्धांत ही है।

— वास्तु विज्ञान की प्राचीनता के साथ ही इस बात को भी खासतौर पर समझ लेना चाहिए कि इसके सिद्धांत किस देश, काल और वातावरण पर आधारित हैं। भारतीय वास्तु एवं चीनी फेंगशुई में एक बड़ा अंतर इस बिंदु का भी है।

— भारत में अधिकांश क्षेत्र गर्म जलवायु में आता है। यहां सूर्यदेव का ताप बहुत भीषण होता है। ऐसे में पश्चिम और दक्षिण से आने वाली गर्म हवाएं मुश्किल पैदा कर सकती हैं। इसलिए वास्तु विशेषज्ञों ने पूर्व दिशा को ज्यादा महत्वपूर्ण माना है। पूर्व को खुला रखने से सूर्य की किरणें घर में प्रवेश करती हैं लेकिन जब सूर्य का ताप बढ़ता है तो उसका ज्यादा असर नहीं होता। जिस घर का दरवाजा पश्चिम की ओर होता है, वहां सूर्य की किरणें अधिक शक्तिशाली होती हैं। इसलिए भारतीय वास्तु में पूर्व दिशा को ज्यादा खुला रखने और पश्चिम को कम खुला या बंद रखने का विधान है।

— इसके विपरीत चीन में ऐसा विशाल इलाका है जो ठंडा रहता है। वहां लोगों को सूर्य की किरणों की ज्यादा जरूरत होती है। ज्यादा गर्मी और धूप के लिए फेंगशुई में पश्चिम और दक्षिण दिशा वाले मकानों को शुभ माना गया है। यह सिद्धांत भारतीय वास्तु से काफी अलग है जो मुख्यत: चीन की भौगोलिक स्थिति पर निर्भर है।

— इसके अलावा चीन का स्थानीय मौसम और हवाएं भी फेंगशुई का आधार हैं। चीन में उत्तर दिशा से मंगोलिया की ओर से धूल भरी आंधी आती है। इस धूल का रंग पीला होता है। पुराने जमाने में चीनी विद्वानों ने इस पर मंथन किया और यह निष्कर्ष पर पहुंचे कि घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर न हो। वहां आज भी लोग इस नियम को मानते हैं, इसलिए काफी घरों का द्वार दक्षिण की ओर है।

दूसरी ओर भारत में दक्षिण को विशेष शुभ नहीं माना जाता। इसे यम की दिशा कहा जाता है। इसलिए वास्तु में विशेष परिस्थितियों में ही दक्षिण की ओर द्वार करने की अनुमति दी गई है। इस प्रकार हम देखते हैं कि फेंगशुई हो या वास्तु — दोनों विद्याएं अपने स्थान पर श्रेष्ठ हैं। इनका आपस में कोई विरोध नहीं है। अगर इनका उपयोग स्थान, देश, काल और वातावरण के अनुसार किया जाए तो मानव का जीवन सुखमय होता है।

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