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जर्मनी में मिली 32 हजार साल पुरानी नृसिंह भगवान की यह मूर्ति, क्या यहां भी था हिंदू धर्म

क्या हिंदू धर्म सिर्फ भारत में ही था या दुनिया के किसी और हिस्से में भी इसके अनुयायी मौजूद थे? यह प्रश्न आपने कई बार पढ़ा या सुना होगा। यह सच है कि हिंदू धर्म के ज्यादातर अनुयायी भारत में ही रहते हैं, परंतु विदेशों में भी कई लोग हिंदू धर्म की परंपरा, संस्कृति और
जर्मनी में मिली 32 हजार साल पुरानी नृसिंह भगवान की यह मूर्ति, क्या यहां भी था हिंदू धर्म

क्या हिंदू धर्म सिर्फ भारत में ही था या दुनिया के किसी और हिस्से में भी इसके अनुयायी मौजूद थे? यह प्रश्न आपने कई बार पढ़ा या सुना होगा। यह सच है कि हिंदू धर्म के ज्यादातर अनुयायी भारत में ही रहते हैं, परंतु विदेशों में भी कई लोग हिंदू धर्म की परंपरा, संस्कृति और संस्कारों से प्रभावित हैं।

कई शोधकर्ता यह दावा कर चुके हैं कि हिंदू देवी—देवताओं की पूजा के प्रमाण विदेशों में भी मिल चुके हैं। अमरीका के एक जंगल में रामायण काल के अवशेष मिलने का दावा किया गया था। यह भी कहा गया ​था कि उस समय यहां हनुमानजी की पूजा हुआ करती थी।

अब इस दावे को और बल मिला है। दरअसल कुछ दिनों पहले जर्मनी में मिली एक प्रतिमा और ही हकीकत बयां करती है। प्रतिमा को देखने के बाद कहा जा सकता है कि न केवल भारत में बल्कि यूरोप में भी किसी जमाने में हिंदू देवी—देवताओं की पूजा जरूर हुई होगी।

क्या है प्रतिमा में खास

यह प्रतिमा देखने में कुछ अलग है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसका चेहरा शेर जैसा और धड़ मानव जैसा है। पहली ही नजर में इसे देखने वाला समझ सकता है कि यह भगवान नृसिंह की प्रतिमा है। चूंकि नृसिंह ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनका मुख सिंह का और धड़ मनुष्य का है।

जर्मनी में हिंदू धर्म

पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह प्रतिमा महज कुछ सैकड़ों साल पुरानी नहीं, बल्कि हजारों साल पुरानी है। उनका मानना है कि यह कम से कम 32 हजार साल पुरानी जरूर है। जर्मनी में इतनी प्राचीन प्रतिमा का मिलना बहुत आश्चर्यजनक है। इस संबंध में कई दावे किए जा रहे हैं, परंतु सबसे ज्यादा बल इस अवधारण को मिलता है कि 32 हजार साल पहले जर्मनी में हिंदू धर्म अवश्य था।

अद्भुत है यह गुफा

जितना प्राचीन इतिहास इस प्रतिमा का है, उससे कहीं ज्यादा अद्भुत हैं इससे जुड़े कुछ और रहस्य। यह जर्मनी की एक गुफा में पाई गई थी। यह जमीन में करीब 1.2 मीटर गहराई पर थी। यह भी कहा जा रहा है कि जहां यह मिली, वहां दिन और रात्रि का मिलन होता है।

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