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थैलेसीमिया में बार बार खून की जरूरत क्यों पड़ती हैं?

जयपुर। थैलेसीमिया का नाम आते ही आंखों के आगे बस खून ही खून तैरता रहता है। जी हां, दोस्तों यही वो रोग है जिसमें रोगी को बार बार खून की आपूर्ति चाहिए होती है। यह एक अनुवांशिक रोग है। बता दे कि इस रोग में रोगी के खून में लाल रक्त कण (Red Blood Cells)
थैलेसीमिया में बार बार खून की जरूरत क्यों पड़ती हैं?

जयपुर। थैलेसीमिया का नाम आते ही आंखों के आगे बस खून ही खून तैरता रहता है। जी हां, दोस्तों यही वो रोग है जिसमें रोगी को बार बार खून की आपूर्ति चाहिए होती है। यह एक अनुवांशिक रोग है। बता दे कि इस रोग में रोगी के खून में लाल रक्त कण (Red Blood Cells) नहीं बन पाती हैं। और जो गलती से कभी बन जाती है वो भी बस चंद देर में ही नष्ट हो जाती हैं। ऐसे में रोगी को बार बार बहुत सारा खून चढ़ाना पड़ता है।थैलेसीमिया में बार बार खून की जरूरत क्यों पड़ती हैं?

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह रोग आनुवांशिक होने की वजह से बच्चों में मां बाप से विरासत मे मिलता हैं। तथा यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहता है। इस भयानक और कष्टदायक रोग में मरीज के साथ उसका पूरा परिवार भी काफी तकलीफ से गुज़रता हैं। इसमें रोगी को एनीमिया हो जाता है, और वह बहुत जल्दी थक जाता हैं। वह पैदल कहीं भी घूम नहीं पाता है। उसे जीवित रखने के लिए हर दो से तीन सप्ताह में उसके शरीर का सारा खून बदला जाता है।

थैलेसीमिया में बार बार खून की जरूरत क्यों पड़ती हैं?

एक तरह से यह रोग तन मन और धन तीनों की बर्बादी का कारण बनता है। गौरतलब है कि हर एक लाल रक्त कोशिका में हीमोग्लोबिन के 240 से 300 मिलियन अणु पाए जाते हैं। मगर थैलेसीमिया के मरीज में यह मात्रा ना के बराबर होती हैं। तभी तो उसे रोजना रक्त की जरूरत पड़ती है। हालांकि इस दौरान स्वस्थ आहार और नियमित रूप से व्यायाम की मदद से इस रोग पर कुछ काबू पाया जा सकता है।थैलेसीमिया में बार बार खून की जरूरत क्यों पड़ती हैं?

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इन दिनो स्टेम सेल की मदद से इस रोग को रोकने की कोशिश की जा रही है। हालांकि बच्चों में यह रोग काफी जल्दी काबू किया जा सकता है। तो अब आप समझ गए होंगे कि थैलेसीमिया नामक यह बीमारी विरासत में अपने साथ कई गंभीर समस्याएं लेकर आती हैं। इससे बचने के लिए आज से ही नियमित कसरत और खान पान पर ध्यान देना शुरू कर दीजिए।

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