Delhi Violence: किसी ने बेटा खोया तो किसी ने भाई
दंगा और हिंसा…शब्द मानव शरीर में सिहरन पैदा करने वाले हैं। हिंसा के शिकार लोगों की चित्कार सुन कलेजा फट पड़ता है। आंखों से आंसू बह निलते हैं। दिल्ली दंगों के दौरान कुछ ऐसी कहानियां निकलकर सामने आ रही है। हिंसा के दौरान किसी ने अपना भाई खोया तो किसी ने बेटा। घरों में कोहराम मचा है, लेकिन पीड़ित परिवारों के लिए अब भी दिल्ली दंगों को लेकर जख्म हरे बने हुए हैं। कई परिवार अपनों के शव लेकर दिल्ली छोड़ रहे हैं।
दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में पुलिस का पहरा लगा हुआ है। सड़कों पर सन्नाटा पसरा है, तंग गलियों में आगजनी के बाद धुएं के निशां बचे हैं। परिवारों के लिए अब भी यहां पर डर का माहौल बना हुआ है। स्थानीय लोगों ने कहा कि 35 वर्षों में दिल्ली में कभी ऐसा हाल नहीं देखा। जिस तरह उपद्रवियों की सोच संकरी थी, उसी के अनुरूप तंग गलियों में भी लोगों को हिंसा का आलम झेलना पड़ा है।
भले ही परिजनों के महरम के लिए सरकार ने मुआवजे की राशी का ऐलान किया है, लेकिन वो दर्द मृतकों के परिजन कभी नहीं भूल पाएंगे। बता दें कि सीएम केजरीवाल ने मृतकों के परिवार को 10-10 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है। हिंसा में गंभीर घायलों को 2-2 लाख रुपये देने की घोषणआ की है। दंगा प्रभावित जिन लोगों के घरों और दुकानों को जलाया गया है, उन्हें 5-5 लाख रुपेय दिए जाने की घोषणा की गई है। दिल्ली के सीएम ने कहा है कि हिंसा में नाबालिग की मौत पर पांच लाख रूपये मुआवजा दिया जायेगा।
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