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क्या आप भी चाहते है जीवन में सुखी रहना, तो करें मां लक्ष्मी के इस स्त्रोत का पाठ

हर कोई अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करता हैं इसके लिए वह कड़ी मेहनत भी करता हैं मगर फिर भी उसे ये सब चीजें नहीं मिल पाती हैं और जीवन में इसका अभाव बना रहता हैं ऐसे में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में कई तरह के उपाय
क्या आप भी चाहते है जीवन में सुखी रहना, तो करें मां लक्ष्मी के इस स्त्रोत का पाठ

हर कोई अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करता हैं इसके लिए वह कड़ी मेहनत भी करता हैं मगर फिर भी उसे ये सब चीजें नहीं मिल पाती हैं और जीवन में इसका अभाव बना रहता हैं क्या आप भी चाहते है जीवन में सुखी रहना, तो करें मां लक्ष्मी के इस स्त्रोत का पाठऐसे में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में कई तरह के उपाय बताए गए हैं देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और जीवन में धन प्राप्ति के लि आप इस स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं इसका पाठ करने से भक्त की सभी इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं।क्या आप भी चाहते है जीवन में सुखी रहना, तो करें मां लक्ष्मी के इस स्त्रोत का पाठ

श्रीलक्ष्मीस्तव के इस पाठ को करके आप अपने जीवन में अपार संपन्नता और धन पा सकते हैं शास्त्रों में कहा गया है कि जो लोग भक्ति युक्त होकर इस का सदा पाठ करते हैं क्या आप भी चाहते है जीवन में सुखी रहना, तो करें मां लक्ष्मी के इस स्त्रोत का पाठवह सारी सिद्धियों और राज्यवैभ को प्राप्त कर सकते हैं जो लोग रोजाना तीन बार इसका पाठ करते हैं उनके शत्रुओं का नाश हो जाता हैं और उसके उपर कल्याणकारिणी वरदायिनी माता लक्ष्मी सदा प्रसन्न रहती हैं।क्या आप भी चाहते है जीवन में सुखी रहना, तो करें मां लक्ष्मी के इस स्त्रोत का पाठ

श्रीलक्ष्मीस्तव पाठ—

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 1॥

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 2॥

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि ।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 3॥

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 4॥

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 5॥

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 6॥

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 7॥

श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ 8॥

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥ 9॥

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥ 10॥

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥ 11॥क्या आप भी चाहते है जीवन में सुखी रहना, तो करें मां लक्ष्मी के इस स्त्रोत का पाठ

 

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