Election Results:2 मई दीदी आ गयी, भाजपा को चित कर गयी
बहुत लंबे समय से चल रहे चुनावी रण के नतीजे आखिरकार कल आ गए। बंगाल एक बार फिर से ममतामयी हो गया,वहीं बंगाल में “असली पोरिबर्तन” की आस लगाई बैठी बीजेपी को इस चुनाव में गहरा झटका लगा। बंगाल में TMC को 213 सीटों पर जीत मिली। एंटी इन्कम्बसी और भाजपा की स्टार प्रचारकों की पूरी टांके सामने ममता का 200 से अधिक सीट जीतना काफी अहम हो जाता है। ममता की TMC ने अपने तीसरे कार्यकाल में पहले से भी अधिक सीट जीतते हुए ये संदेश भी इशारो इशारो में दे दिया,की भाजपा को यदि कोई राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती दे सकता है तो वो ममता ही है।
हालाँकि इस चुनावमे एक और चीज़ ख़ास हुई,और वो ये रही की ममता भले ही पूरा बंगाल जीत गयी हो,लेकिन वो नंदीग्राम से हार गयी,और पूर्व में उनके करीबी रहे शुभेंदु से उन्हें एक करीबी द्वंद्व में हार का सामना करना पड़ा।
TMC | 213 |
BJP | 77 |
LEFT AND OTHERS | 0 |
वहीँ असम और पुड्डुचेर्री में भाजपा को सत्ता का स्वाद चखने को मिला। यहाँ उसे बड़ी आसानी के साथ बहुमत का आंकड़ा मिला और उसने उसकी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को आसानी से हरा दिया। असम और पुड्डुचेरु की हार से कांग्रेस की साख को काफी नुक्सान हुआ है। क्यूंकि इससे ये एक बार फिर से ये सन्देश मिलता है की जहाँ कहीं भी मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच में होगा,वहां पर भाजपा कांग्रेस को मात देगी।
असम में भाजपा ने 60 सीट अपने नाम की
BJP | 60 |
INC | 29 |
AIUDF | 16 |
AGP | 9 |
BPF | 4 |
OTHERS | 8 |
वहीँ पुड्डुचेरी में भी उसने NDA के सहयोग से बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया
BJP+ | 16 |
CONGRESS+ | 8 |
OTHERS | 6 |
केरल में इतिहास बन गया। हर बार सत्ता के बदलने के ट्रेंड पर वहां के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने रोक लगा दी। हालंकि इसने राहुल गाँधी की मेहनत और भविष्य दोनों पर पानी फेर दिया है ,राहुल केरल के वायनाड से सांसद है और लोकसभा में राहुल के दम पर ही कांग्रेस ने वहां पर क्लीन स्वीप किया था। लेकिन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अपने सहयोगी दल UDF के साथ पूरे मुकाबले में कहीं भी नजर नहीं आई। LDF का नेतृत्व कर रहे विजयन ने आसानी से बहुमत हासिल किया। वहीँ केरल में करिश्मे की आस लगाकर बैठी बीजेपी को इस बार एक भी सीट नहीं मिली। मेट्रोमैन श्रीधरन को भी हार का सामना करना पड़ा
LDF | 93 |
UDF | 41 |
BJP | 0 |
OTHERS | 6 |
तमिल नाडु में इस बार सत्ता में परिवर्तन देखने को मिला है। जयलाइट की पार्टी अन्नाद्रमुक को भाजपा का सहयोग लेना भारी पड़ा। भाजपा की हिंदी भाषी छवि और दक्षिण विरोधी छवि का नुक्सान AIADMK को उठाना पड़ा। इसके अलावा शशिकला को चुनाव से बहार रखना भी पार्टी के हित में नहीं गया। यहाँ पर कांग्रेस DMK के साथ चुनाव में कड़ी हुई थी। लेकिन जीत का सेहरा पूर्ण रूप से स्टालिन के सर ही बंधेगा,क्यूंकि उनकी पार्टी की वहां पर पकड़ भी ज्यादा है और उन्होंने मेहनत भी पूरी की थी।
AIADMK | 78 |
DMK | 156 |
OTHERS | 0 |