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कोरोना की दूसरी लहर से विदेशी निवेशकों का मोहभंग,जाने अब क्या होगा

भारत में अचानक कोरोना के मामले बढ़ने से आर्थिक मोर्चे पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कोरोना की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से हाथ खींच रहे हैं। मार्च तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने
कोरोना की दूसरी लहर से विदेशी निवेशकों का मोहभंग,जाने अब क्या होगा

भारत में अचानक कोरोना के मामले बढ़ने से आर्थिक मोर्चे पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कोरोना की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से हाथ खींच रहे हैं।

मार्च तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजार में पैसे लगाए थे, जबकि जबकि अप्रैल महीने में अब तक पैसे निकाले हैं। कोरोना संकट की वजह से एफपीआई अब दूसरे देशों के उभरते बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। विदेशी निवेशक अब भारतीय बाजार को छोड़ ताइवान और दक्षिण कोरिया के बाजार में पैसा लगा रहे हैं।मार्च-2021 तक विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में शुद्ध रूप से खरीदार बने हुए थे।

विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में 17,304 करोड़ रुपये, फरवरी में 23,663 करोड़ रुपये और जनवरी में 14,649 करोड़ रुपये डाले थे।भारत वित्त वर्ष 2020-21 में सबसे अधिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेश पाने वाला देश बनकर उभरा था। इस दौरान कुल अंतर्प्रवाह 2.6 लाख करोड़ रुपये रहा था।

विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक बाजारों में कैश की अधिकता और तेजी से आर्थिक सुधारों की उम्मीद के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारत में सबसे अधिक निवेश किया था।विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड के मामले बढ़ने तथा डॉलर की तुलना में रुपये में गिरावट की वजह से एफपीआई निकासी कर रहे हैं। मौद्रिक समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ने सबको हैरान करते हुए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) की खरीद की घोषणा की।

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