सबरीमाला मंदिर: आज शाम खुलेंगे मंदिर के कपाट, जाने मंदिर से जुडी महत्वपूर्ण बात को
जयपुर। इन दिनों में काफी चर्चा का में रहा केरल का सबरीमाला मंदिर। इतनी चर्चा में रहने के बाद आज केरल का सबरीमाला मंदिर खुलेगा। इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जमा हो रहे हैं वे मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं। सबरीमाला मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मंदिर में महिलाओं का आज प्रवेश हो पाएगा कि नहीं इस को लेकर संशय बरकरार है। संशय को लेकर केरल सरकार ने भी साफ कर दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करवाएगी लेकिन भक्त इस फैसले के विरोध में हैं। अब इस बात का फैसला मंदिर खुलने के बाद ही हो पाएंगा।
सबरीमाला मंदिर के तांत्री (प्रमुख पुरोहित) परिवार, पंडलाम राजपरिवार और अयप्पा सेवा संघम समेत अलग-अलग संगठन इस फैसले को लेकर विचार विमर्श कर रहे हैं। आज हम इस लेख में आपको सबरीमाला मंदिर से जुड़ी कुछ खास बात बता रहें है जिनको जानना आपके लिए भी जरुरी है।
- हिंदू धर्म में कई ऐसे मंदिर है जो अपनी खास विशेषता के लिए जाने जाते हैं। इनमें से सबरीमाला मंदिर भी एक हैं। इस मंदिर की खास बात है कि मंदिर पूरे साल भक्तों के लिए नहीं खुलता यह हर महीने के पहले पांच दिन खुलता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार सबरीमाला मंदिर हर महीने के पहले पांच दिन खोला जाता है। इसके अलावा यह मंदिर नवंबर मध्य से जनवरी मध्य के बीच वार्षिक उत्सव मंडलम और मकाराविलक्कु में खुलता है।
- सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा का मंदिर है यहा पर भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास रहता है, इस दौरान इस मंदिर में सबसे ज्यादा भक्त दर्शन करने पहुचते हैं।
- इस मंदिर में केवल छोटी बच्ची और बूढी महिला ही प्रवेश कर सकती है। यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले से चला आ रही नियम है। इसके पीछे मान्यता यह है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं इसलिए मंदिर में मासिक धर्म के आयु वर्ग में आने वाली स्त्रियों का प्रवेश निषेध है। जिस कारण से 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश में पाबंदी हैं।
- सबरीमाला मंदिर में यह मान्यता आज ये नहीं बल्कि 1500 साल पुरानी है। ये नियम पहले से चला आ रहा है।
- सबरीमाला मंदिर के लिए मान्यता है कि यहा आने वाला भक्त सिर पर पोटली रखकर आता हैं। वह पोटली नैवेद्य भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीजें से भरी होती हैं जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं। ऐसा माना जाता है कोई तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर दर्शन करने आता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- सबरीमाला मंदिर में जाने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना होता है, इन 18 सीढियों के अलग-अलग अर्थ बताए गए हैं। इसमें पहली पांच सीढियों का संबंध मनुष्य की पांच इन्द्रियों से है। इसके बाद की 8 सीढ़ियों का संबंध मानवीय भावनाओं से है। अगली तीन सीढियों का संबंध मानवीय गुण से हैं। अंत की दो सीढ़ियों का संबंध ज्ञान और अज्ञान से है।