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श्री विष्णु का महाव्रत, जिसे करने से यक्ष को मिली कुबेर के श्राप से म

योगिनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ साथ पीपल के पेड़ की भी पूजा अर्चना करने का विधान होता हैं वही साधक को इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री हरि विष्णु की मूर्ति को 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान कराना चाहिए। वही इसके बाद भगवान श्री विष्णु को वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप दीप, नैवेद्य, ताम्बूल आदि समर्पित करके आरती उतारनी चाहिए।
 श्री विष्णु का महाव्रत, जिसे करने से यक्ष को मिली कुबेर के श्राप से म

आपको बता दें, कि हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व और त्योहार मनाएं जाते हैं, मगर आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के लिए रखा जाने वाला महाव्रत को योगिनी एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता हैं यह व्रत इस साल 29 जून को पड़ रहा हैं। जिसे करने से सभी तरह के पापों से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती हैं वही इस व्रत को करने से न केवल आम आदमी बल्कि यक्ष आदि भी पाप मुक्त हो गए। श्री विष्णु का महाव्रत, जिसे करने से यक्ष को मिली कुबेर के श्राप से म

वही सभी व्रतों में श्रेष्ठ और भगवान श्री विष्णु की कृपा दिलाने वाली योगिनी एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन महाभारत काल में भी मिलता हैं स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को इस महाव्रत की महत्वता के बारे में बताते हुए एक कथा सुनाई थी। जिसके मुताबिक एक बार हेममाली नामक यख किसी गलती पर कुबेर ने श्राप दे दिया।

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इसके बाद वह श्राप से मुक्ति पाने का उपाय जानने के लिए मार्कण्डेय ऋषि की शरण में पहुंचा। वही ऋषि ने उसे इस पाप से मुक्ति के लिए योगिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी। यक्ष ने ऋषि की आज्ञा से इस पावन व्रत किया और सभी पापों से मुक्त होकर बैकुंठ लोक को गया।  श्री विष्णु का महाव्रत, जिसे करने से यक्ष को मिली कुबेर के श्राप से मवही योगिनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ साथ पीपल के पेड़ की भी पूजा अर्चना करने का विधान होता हैं वही साधक को इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री हरि विष्णु की मूर्ति को ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान कराना चाहिए। वही इसके बाद भगवान श्री विष्णु को वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप दीप, नैवेद्य, ताम्बूल आदि समर्पित करके आरती उतारनी चाहिए।

 श्री विष्णु का महाव्रत, जिसे करने से यक्ष को मिली कुबेर के श्राप से म

योगिनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ साथ पीपल के पेड़ की भी पूजा अर्चना करने का विधान होता हैं वही साधक को इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री हरि विष्णु की मूर्ति को 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान कराना चाहिए। वही इसके बाद भगवान श्री विष्णु को वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप दीप, नैवेद्य, ताम्बूल आदि समर्पित करके आरती उतारनी चाहिए। श्री विष्णु का महाव्रत, जिसे करने से यक्ष को मिली कुबेर के श्राप से म

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