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सत्य के प्रकाश पुंज से जीवंत है इंसान का अस्तित्व

अगर इंसान ने सत्य का दामन छोड़ दिया तो वह स्वयं ही अपना अंत कर लेगा। सच्चाई जीवन की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक मानी जाती हैं आप कभी नहीं चाहते हैं कि कोई आपसे झूठ बोले, भले ही आपने कभी सच न बोला हों। राजा हरिश्चंद, सत्यका, जाबालि और गांधी जैसी निष्ठा न हो, तो भी सच्चाई के पालन में इतना मजबूत तो होना ही चाहिए। कि अपने से किसी अन्य का अहित न हो सकें।
सत्य के प्रकाश पुंज से जीवंत है इंसान का अस्तित्व

हर व्यक्ति के जीवन में सत्य बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैं सत्य से जीवन हैं, बिना सत्य कुछ भी नहीं हैं। अगर इंसान ने सत्य का दामन छोड़ दिया तो वह स्वयं ही अपना अंत कर लेगा। सच्चाई जीवन की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक मानी जाती हैं आप कभी नहीं चाहते हैं कि कोई आपसे झूठ बोले, भले ही आपने कभी सच न बोला हों।सत्य के प्रकाश पुंज से जीवंत है इंसान का अस्तित्व राजा हरिश्चंद, सत्यका, जा​बालि और गांधी जैसी निष्ठा न हो, तो भी सच्चाई के पालन में इतना मजबूत तो होना ही चाहिए। कि अपने से किसी अन्य का अहित न हो सकें। वही शून्य आकाश में, अनंत अंतरिख के नक्षत्रों का प्रकाश किसी बिंदु पर टकराता हैं। Image result for सत्य के प्रकाश पुंजवही प्रकाश कणों के द्वंद्व को देखकर पता लगाना कठिन होता हैं कि कौन सा, किस नक्षत्र से और किस तरह का प्रकाश आ रहा हैं उस बिंदु को पाया जा सके। जहां पर हर कण टकराता हों, तो उस बिंदु को देखते रहना और उस प्रकाश के द्वारा ग्रह नक्षत्रों के अंतरंग को जानते रहना भी संभव हो जाता हैं।Image result for सत्य के प्रकाश पुंज

वही सच्चाई भी ऐसा ही कण और दिव्य प्रकाश हैं, जिसे धारण करने वाला मनुष्य इस संसार की वस्तुस्थिति को जान सकता हैं। वही सच्चाई ऐसी स्थिति होती हैं जहां दुनिया भर के अहम टकराते हैं कीचड़ में फंसा बीज खुद को कीचड़ से अधिक नहीं सोच पाता हैं मगर जब वह अंकुरित और पल्लवित हो जाता हैं तो स्वयं को चेतना के दायरे में समेट लेता हैं। तो न सिर्फ उस कीचड़ से ही बचता है, बल्कि वह उस कीचड़ में फंसी और फैली विभूतियों को अपने लिए अर्जन करने लगता हैं।Image result for सत्य के प्रकाश पुंज

अगर इंसान ने सत्य का दामन छोड़ दिया तो वह स्वयं ही अपना अंत कर लेगा। सच्चाई जीवन की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक मानी जाती हैं आप कभी नहीं चाहते हैं कि कोई आपसे झूठ बोले, भले ही आपने कभी सच न बोला हों। राजा हरिश्चंद, सत्यका, जा​बालि और गांधी जैसी निष्ठा न हो, तो भी सच्चाई के पालन में इतना मजबूत तो होना ही चाहिए। कि अपने से किसी अन्य का अहित न हो सकें। सत्य के प्रकाश पुंज से जीवंत है इंसान का अस्तित्व

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