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अंटार्कटिका के ग्लेशियरों के भीतर गर्म गुफाओं में जीवों कि अलग दुनिया

जयपुर। हमारी धरती पर कई तरह के जगहें हैं कई जगहों पर इंसाने के कदम है तो कहीं नहीं भी है। ये समझदार इंसान अब उनकी भी खोज कर रहा है। अभी सिर्फ ये अपनी कल्पनाओं में जी रहा है लेकिन अच्छी तकनीक होने से इसका काम आसान हो जाता है। इसकी मदद से ये
अंटार्कटिका के ग्लेशियरों के भीतर गर्म गुफाओं में जीवों कि अलग दुनिया

जयपुर। हमारी धरती पर कई तरह के जगहें हैं कई जगहों पर इंसाने के कदम है तो कहीं नहीं भी है। ये समझदार इंसान अब उनकी भी खोज कर रहा है। अभी सिर्फ ये अपनी कल्पनाओं में जी रहा है लेकिन अच्छी तकनीक होने से इसका काम आसान हो जाता है। इसकी मदद से ये पाताल को छू कर आसमान में जा पहुँचा है। तकनीक और कल्पनाओं कि वजहों से आज ये कहां से कहां पहुँच गया है। ऐसी एक कल्पना पर आधारित वैज्ञानिकों ने माना हैअंटार्कटिका के ग्लेशियरों के भीतर गर्म गुफाओं में जीवों कि अलग दुनिया

कि अंटार्कटिका के ग्लेशियरों के भीतर गर्म गुफाओं में जीव-जन्तुओं और वनस्पतिओं की रहस्मयी दुनिया हो सकती है। ऑस्ट्रेलियन नैशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) ने इस पर शोध किया है और अध्ययन में पाया गया है कि अंटार्कटिका के रोस द्वीप में सक्रिय ज्वालामुखी माउंट इरेबस के आसपास के क्षेत्रों में झरनों के बहाव से एक बड़ी गुफा का निर्माण हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इन गुफाओं से मिली मिट्टी के अध्ययन में छोटे जीव-जन्तुओं के कुछ अंश पाए गए है। जिससे अनुमान लगाया जा रहा हैअंटार्कटिका के ग्लेशियरों के भीतर गर्म गुफाओं में जीवों कि अलग दुनिया

कि एक रहस्यमय दुनिया हो सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि अंटार्कटिका के ग्लेशियरों के भीतर ये गुफाएं अंदर बेहद गर्म हो सकती हैं। कुछ गुफाओं में तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक भी हो सकता है ऐसा माना जा रहा है। पोलर बायॉलजी जनरल में प्रकाशित इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता फ्रेसर ने बताया कि गुफा के मुहाने में रोशनी दिखती है और गुफाओं में जहां बर्फ की पर्त पतली है, वहां अंदर की ओर रोशनी के फिल्टर्स हो कर दिखती हैं।  अगर ये खोज सफलता पूर्वक हुई तो हम एक नई दुनिया का पता लगा सकते है।अंटार्कटिका के ग्लेशियरों के भीतर गर्म गुफाओं में जीवों कि अलग दुनिया

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