इस तकनीक की मदद से फिल्मों में वस्तुओं को छोटा या बड़ा करके दिखाया जाता है
जयपुर। आपने कई बार फिल्मों में ऐसे अजीबोगरीब सीन देखे होंगे जिनमें किरदार का आकार एकदम बड़ा या फिर बहुत ही छोटा दिखाया जाता है। तो चलिए हम आपको इस रहस्य से रूबरू करवाते हैं। दरअसल इस तकनीक को फोर्स्ड पर्सपेक्टिव (Forced perspective) कहते है। यह एक तरह का ऑप्टिकल भ्रम (optical illusion) है, जिसकी मदद से दर्शक को वह वस्तु मनचाहे आकार में दिखने लगती हैं।
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इसी तकनीक की मदद से आम तौर पर ऐसे ट्रिकी फिल्मी सीन फिल्माये जाते हैं। यह तकनीक पलक झपकते ही लिलीपुट को व्हेल जितना बड़ा कर सकती है। किसी भी बौने को ताड़ जितना लंबा दिखा सकती हैं। हालांकि यह सब एक आभासी कल्पना है जो दर्शक को सच लगने लगती है। पर असल में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। वह वस्तु उसी आकार में होती हैं। बस इस नज़र की कमजोरी का फायदा उठाकर लोग इसे फोटोग्राफी, फिल्म निर्माण और वास्तुकला में करते हैं।
इस तकनीक का मुख्य आधार इसकी रचनात्मकता और कल्पना से जुड़ा हुआ है। जी हां, क्योंकि यह तस्वीर एक कल्पना और रचनात्मकता का बेहतरीन ताना बाना है। इसी को देखकर तो आपको यह आभासी एहसास होता है कि वह व्यक्ति आकार में बदल चुका है। दरअसल किसी भी तस्वीर की पृष्ठभूमि को जब उसकी अग्रभूमि से मिला दिया जाता है तो यूं लगता है मानो उसका आकार अजीब सा हो गया है। बस इसी भ्रम को पैदा करके यह अनोखा खेल खेला जाता है।
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फोर्स्ड पर्सपेक्टिव तकनीक में कैमरा किसी भी एक सुविधाजनक बिंदु को रेफरेंस मान लेता है। फिर उसी बिंदु से वह उस ऑब्जेक्ट की दूरी को कंट्रोल करता है। इस वजह से ऐसा प्रतीत होता है कि उस बंदे का आकार बड़ा या छोटा हो रहा है। तो महाशय अगली बार जब किसी पिक्चर में ऐसा सीन दिखे तो हमें जरूर याद करिएगा।