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क्या वैश्विक बैंकों को भारत में राज्य के ऋणदाताओं की विफलता के लिए भुगतान करना पड़ेगा ?

हाल के बाजारों की अर्थव्यवस्था से खबरें आ रही है की , एचएसबीसी और सिटीग्रुप जैसे वैश्विक बैंकों को भारत में राज्य-संचालित उधारदाताओं की विफलता के लिए अपनी तरफ से भुगतान करना पड़ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) ने इस समस्या के लिए एक कठोर कदम उठाया और प्रस्तावित किया कि किसी
क्या वैश्विक बैंकों को भारत में राज्य के ऋणदाताओं की विफलता के लिए भुगतान करना पड़ेगा ?

हाल के बाजारों की अर्थव्यवस्था से खबरें आ रही है की , एचएसबीसी और सिटीग्रुप जैसे वैश्विक बैंकों को भारत में राज्य-संचालित उधारदाताओं की विफलता के लिए अपनी तरफ से भुगतान करना पड़ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) ने इस समस्या के लिए एक कठोर कदम उठाया और प्रस्तावित किया कि किसी भी कंपनी के पास 500 मिलियन या उससे अधिक ऋण होंने पर बैंक में उसे एक समर्पित खाता खोलना होगा, जहां पर लेनदारों का भुगतान करने और साथ ही कम से कम 10% उधार लेने की मान्यता मिल सकेगी ।

Global banks like HSBC, Citigroup may have to pay for the failure of state-run  lenders in India - The Financial Expressकोरोना के चलते इस समय में दाता और लेनदारों के बीच एक असफल व्यवसायों से निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहें हैं और राज्य की बैंकिंग प्रणाली इसका सबसे बड़ी शिकार बन रही है जिनमें की दिवालिया कंपनियों से बहुत कम ही रोजगार प्राप्त हो रहें है। सरकार द्वारा समर्थित उधारदाताओं को इस बात के लिए धन को केंद्रीय बैंक ने  कठोर कदम उठाये हैं ।

Global banks may have to pay for failures of PSBs | Deccan Heraldयह भी प्रस्तावित किया गया था कि इस खाते का संचालन करने वाला ऋणदाता फर्म ,बैंकिंग व्यवसाय को संभाल सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ज्यादातर कॉर्पोरेट ऋण देने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे चालू खाते हासिल करते हैं। इसके कारण मौजूदा बैंकिंग संबंधों को तीन महीने के भीतर सुविधाओं को पूरी करने की आवश्यकता होगी और ऐसी संभावनाएं हैं कि यह सिटी बैंक, एचएसबीसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसे वैश्विक बैंकों को प्रभावित करेगा।

RBI Warns State Governments On Withdrawing Funds From Private Banksभारत में सरकार द्वारा नियंत्रित संस्थानों में  किसी को भी भारतीय स्टेट बैंक ( SBI ) को छोड़कर भारत की सबसे बड़ी कंपनियों के लिए मुख्य नकद प्रबंधन बैंक के रूप में सुविधा नहीं है । वैश्विक बैंक अपने नकदी प्रबंधन प्लेटफार्मों को बढ़ा रहे हैं और उन्हें अपने ग्राहकों के कंप्यूटर सिस्टम के साथ एकीकृत कर रहे हैं। करंट-अकाउंट के प्रति वह बढ़ रहें  है क्योंकि वे व्यवसायों की सीमा को पार करते हुए आपूर्ति श्रृंखला में पैसे बचाने में मदद कर रहें हैं।

क्या वैश्विक बैंकों को भारत में राज्य के ऋणदाताओं की विफलता के लिए भुगतान करना पड़ेगा ?सिटीग्रुप के पास दुनिया भर में $ 900 बिलियन से अधिक के डिपॉजिट करवाए गए हैं, जो की नि: शुल्क फंडिंग के साथ आते है और अधिग्रहण के लिए प्रौद्योगिकी और ग्राहक संबंधों में बैंकों के निवेश को किया गया है और एक महत्वपूर्ण बाजार में इस लाभ को कम करने के लिए कहा जाना अनुचित ही होगा। सिटीग्रुप के साथ, स्टैंडर्ड चार्टर्ड की कंपनियों को भी इस परिस्थति को पूरा करना  है।

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