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भगवान श्री राम को इस लिए कहा जाता हैं मर्यादा पुरुषोत्तम

मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी भगवान श्री हरि विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। जिन्होंनं त्रेता युग में रावण का संहार करने के लिए धरती पर मानव अवतार धारण किया था। माता कैकेयी की 14 साल का वनवास की इच्छा को सहर्ष स्वीकार करते हुए पिता के दिए गए वचनों का पालन किया। प्रभु श्री राम ने रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाए का पालन किया। वही प्रभु श्री राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता हैं। श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता हैं, क्योंकि इन्होंने कभी भी कहीं भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया।
भगवान श्री राम को इस लिए कहा जाता हैं मर्यादा पुरुषोत्तम

हिंदू धर्म में प्रभु श्री राम के अनेकों भक्त हैं वही मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी भगवान श्री हरि विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। जिन्होंनं त्रेता युग में रावण का संहार करने के लिए धरती पर मानव अवतार धारण किया था। वही उन्होंने माता कैकेयी की 14 साल का वनवास की इच्छा को सहर्ष स्वीकार करते हुए पिता के दिए गए वचनों का पालन किया। वही प्रभु श्री राम ने रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाए का पालन किया।भगवान श्री राम को इस लिए कहा जाता हैं मर्यादा पुरुषोत्तम वही प्रभु श्री राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता हैं। वही श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता हैं, क्योंकि इन्होंने कभी भी कहीं भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। वही माता पिता और गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए वह क्यों शब्द कभी मुख पर नहीं लाए।

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वही आपको बता दें, कि जाखू मंदिर शिमला की पहचान माना जाता हैं। वही यह शिमला शहर की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित हैं वही घने देवदार के पेड़ों के बीच जाखू मंदिर हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर हैं वही छोटे से मंदिर के आसपास खूबसूरत पार्क भी हैं। वही यह भी कहा जाता हैं। कि हनुमान जी जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे। तब उन्होंने जाखू मंदिर पर विश्राम किया था। वही इसी घटना की यादा में यहां चोटी पर यह मंदिर बनवाया गया हैं।भगवान श्री राम को इस लिए कहा जाता हैं मर्यादा पुरुषोत्तम

वही ऐसा कहा जाता हैं कि जाखू मंदिर में 1837 की खींची गई मंदिर की एक श्वेत श्याम फोटो लगी हैं जिससे मंदिर की प्राचीनता का पता चलता हैं वही मंदिर परिसर में हनुमान जी की विशाल मूर्ति 2010 में स्थापित की गईभगवान श्री राम को इस लिए कहा जाता हैं मर्यादा पुरुषोत्तम

मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी भगवान श्री हरि विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। जिन्होंनं त्रेता युग में रावण का संहार करने के लिए धरती पर मानव अवतार धारण किया था। माता कैकेयी की 14 साल का वनवास की इच्छा को सहर्ष स्वीकार करते हुए पिता के दिए गए वचनों का पालन किया। प्रभु श्री राम ने रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाए का पालन किया। वही प्रभु श्री राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता हैं। श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता हैं, क्योंकि इन्होंने कभी भी कहीं भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। भगवान श्री राम को इस लिए कहा जाता हैं मर्यादा पुरुषोत्तम

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