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दंगे क्यों होते हैं ?

लोगों के बीच हिंसा होने के कई कारण हो सकते हैं। इसमें बड़े पैमाने पर मनोवैज्ञानिक कारण भी अपनी भूमिका निभाते हैं। जिसमें लोग बड़े समूहों का हिस्सा बनकर हिंसक व्यवहार का सहारा लेते हैं। क्या हिंसान होने के कारण हमारे बीच जो हैं वो स्पष्टीकरण के लायक हैं? हाल के वर्षों में, वैज्ञानिक होने
दंगे क्यों होते हैं ?

लोगों के बीच हिंसा होने के कई कारण हो सकते हैं। इसमें बड़े पैमाने पर मनोवैज्ञानिक कारण भी अपनी भूमिका निभाते हैं। जिसमें लोग बड़े समूहों का हिस्सा बनकर हिंसक व्यवहार का सहारा लेते हैं।

क्या हिंसान होने के कारण हमारे बीच जो हैं वो स्पष्टीकरण के लायक हैं?

हाल के वर्षों में, वैज्ञानिक होने वाले दंगों पर अपनी कड़ी नजर बनाए हुए हैं कि इनके होने के पीछे के मुख्य क्या कारण हो सकते हैं। दंगे होने के पीछे लोगों के हिंसक व्यवहार होने के साथ-साथ कई तरह के राजनीतिक कारण भी अपना रोल निभाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है इसके होने के पीछे कोई भी फिक्स समय नहीं होता है यह किसी भी समय हो सकते हैं। दंगों में आप किसी खास वर्ग के लोगों को भी नहीं देख सकते हैं। इसमें आपको बुद्धिमान, शिक्षित व्यक्ति से लेकर हर तरह के व्यक्तित्व वाले लोग मिलने की पूरी संभावना रहती है। ऐसा लगता है कि लोग किसी चीज को लेकर बहुत ही संवेदनात्मक हो जाते हैं।

कुछ अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि दंगों में ऐसा लगता है लोग खुद को अधिक शक्तिशाली या स्वतंत्र महसूस करते हैं। या फिर लोगों को अधिक फ्री तरीके से व्यवहार करने की इजाजत मिल जाती है। हममें से ज्यादातर लोग अपने जीवन में किसी ना किसी बात को लेकर दबते हैं तो वो हर समय कानून का पालन करने के लिए सहनशक्ति रख नहीं पाते हैं। तो फिर हम आमतौर पर उनका गुस्सा दंगों के रूप में देख सकते हैं।

इसके अलावा भीड़ का कोई भी नाम नहीं होता है उस भीड़ में हर तरह के लोग आपको मिल सकते हैं कुछ ऐसे भी होते हैं जो कि किसी नियम या कानून को नैतिक रूप से स्वीकार नहीं कर पाते हैं। लेकिन किसी भी तरह से आप यह नहीं कह सकते हैं कि दंगे होना कोई रेंडम घटना है। और उस भीड़ में आपको वो लोग भी मिलेंगे जो हिंसा करने के पूरी तरह से खिलाफ होंगे। इसके लिए कोई भी फिक्स तर्क दे पाना मुश्किल हैं।

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