Samachar Nama
×

जानिए आखिर क्यों मानव की ये प्राचीन प्रजाति विलुप्त हो गई?

आपने शायद ‘नीएंडरथल’ शब्द के बारे में सुना होगा, जिसे किसी का अपमान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि निएंडरथल्स लुप्त हो गए हैं, लेकिन विलुप्त होने से पहले वे आधुनिक मनुष्यों के पूर्वजों के साथ मेल-जोल करते थे, वही लोग जिन्होने विलुप्त होने में उनकी सहायता की थी। बता दें कि निएंडरथलल्स
जानिए आखिर क्यों मानव की ये प्राचीन प्रजाति विलुप्त हो गई?

आपने शायद ‘नीएंडरथल’ शब्द के बारे में सुना होगा, जिसे किसी का अपमान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि निएंडरथल्स लुप्त हो गए हैं, लेकिन विलुप्त होने से पहले वे आधुनिक मनुष्यों के पूर्वजों के साथ मेल-जोल करते थे, वही लोग जिन्होने विलुप्त होने में उनकी सहायता की थी।

बता दें कि निएंडरथलल्स मानव की शुरुआती प्रजातियां हैं, जो मुख्य रूप से यूरोप और दक्षिण-पश्चिम एशिया में करीब 130,000 साल पहले रहते थे। करीब 40,000 साल पहले तक वो वहीं थे, जब तक कि वो विलुप्त नहीं हुए थे। पहली निएंडरथल हड्डियां 1856 में जर्मनी में नीनर नदी घाटी में पाई गई थीं।

उस समय लोगों ने सोचा कि वे अजीब आधुनिक मनुष्यों की हड्डियां थी। निएंडरथल आमतौर पर बहुत मैसिव थे, लेकिन आधुनिक मनुष्यों की तुलना में कम थे। उनके पास एक ज्यादा प्रोमिनेंट ब्रो रिज और स्लोपिंग फोरहैड भी था। उस पहली खोज के बाद से, पूरे यूरोप और एशिया में निएंडरथल हड्डियां पाई गई हैं।

तो फिर आखिर इस शुरुआती प्रजाति का क्या हुआ था? यह एक सवाल है जो वैज्ञानिकों को कई वर्षों से ग्रस्त कर रहा है, लेकिन नए परीक्षण से निएंडरथल्स की विलुप्ति की व्याख्या करने में मदद मिल सकती है। ऐसा लगता है कि हम या हमारे पूर्वजों उनके विलुप्त होने के लिए कम से कम आंशिक रूप से जिम्मेदार थे।

लगभग 45,000 साल पहले, निएंडरथल संख्या घटती जा रही थी। आधुनिक यूरोप (होमो सेपियंस) के पैची समूहों में रहने की वजह से वो काफी आईसोलेटेड हो गए थे। दोनों समूहों को भोजन के लिए, आश्रय के लिए और जो कुछ भी उन्हें जीवित रहने के लिए जरूरी था, के लिए प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती थी।

यह भी माना जा रहा है कि इटली में ज्वालामुखी विस्फोट और लगभग 40,000 साल पहले एक ठंडे जलवायु घटनाक्रम ने इन प्रजातियों की विलुप्कि के पीछे बड़े कारण थे। लेकिन विलुप्त होने से पहले उनमें से कई आधुनिक मनुष्यों के सम्पर्क में आए थे और आज भी उनके डीएनए के निशान मनुष्यों को दिखाए जाते हैं।

Share this story