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China की कोरोना वैक्सीन इतनी लोकप्रिय क्यों है

चीन की कोरोना वैक्सीन के सफल होने के संदेश लगातार आ रहे हैं। विदेशों में कई टीकों का तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण सुचारू ढंग से चल रहा है। पिछले 31 दिसंबर को साइनोफार्म की कोरोना वैक्सीन को अतिरिक्त शर्त के साथ बाजार में उतारने की मंजूरी मिली। दुनिया के कई देश चीनी वैक्सीन खरीदने
China की कोरोना वैक्सीन इतनी लोकप्रिय क्यों है

चीन की कोरोना वैक्सीन के सफल होने के संदेश लगातार आ रहे हैं। विदेशों में कई टीकों का तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण सुचारू ढंग से चल रहा है। पिछले 31 दिसंबर को साइनोफार्म की कोरोना वैक्सीन को अतिरिक्त शर्त के साथ बाजार में उतारने की मंजूरी मिली। दुनिया के कई देश चीनी वैक्सीन खरीदने का इंतजार कर रहे हैं। पिछले 2 दिसंबर को मिस्र ने साइनोफार्म की कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी। 10 दिसंबर को पहले खेप के चीनी टीके मिस्र पहुंचाये गये।

30 दिसंबर को तुर्की को 30 लाख चीनी टीके मिले। उसी दिन यूक्रेन ने चीन के साइनोवैक द्वारा निर्मित 19 लाख 10 हजार कोरोना वैक्सीन खरीदने की घोषणा की।

31 दिसंबर को पाकिस्तान ने साइनोफार्म के 12 लाख टीके खरीदने का ऐलान किया। उसी दिन म्यांमार ने घोषणा की कि वह वर्ष 2021 के शुरू में चीनी वैक्सीन खरीदेगा।

इस साल 3 जनवरी को थाईलैंड ने साइनोवैक की 20 लाख वैक्सीन खरीदने की घोषणा की। उसके बाद 4 जनवरी को इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में साइनोवैक के टीकों का वितरण शुरू किया।

9 जनवरी को साइनोफार्म के पहले खेप की कोरोना वैक्सीन जॉर्डन में पहुंचायी गयी। उसी दिन जॉर्डन के खाद्य और औषधि ब्यूरो ने चीनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की घोषणा की। जॉर्डन में 13 जनवरी से टीका लगाने की योजना शुरू होगी।

तो इतने ज्यादा देश चीनी वैक्सीन के प्रति आशावान क्यों हैं? सबसे पहले, कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में टीका सबसे बड़ी आशा माना जा रहा है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन परीक्षण एजेंसी पीपुल्स वैक्सीन एलायंस ने अपनी रिपोर्ट में एक निर्मम वास्तविकता दिखायी कि हालांकि उच्च आय वाले देशों की जनसंख्या दुनिया की कुल जनसंख्या का 14 प्रतिशत है, लेकिन उन्होंने दुनिया की आधे से अधिक कोरोना वैक्सीन खरीदी है। इसके चलते केन्या, म्यांमार और नाइजीरिया समेत 67 कम आय वाले देशों में हर 10 लोगों में से सिर्फ 1 व्यक्ति को वर्ष 2021 के अंत से पहले कोरोना टीका लगाने की उम्मीद होगी। चीन ने औपचारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोवैक्स में भाग लिया। चीन दान और मुफ्त सहायता आदि तरीकों से विकासशील देशों को वैक्सीन देगा।

इसके अलावा, चीनी टीकों की सुरक्षा और कारगरता को कई देशों की मान्यता प्राप्त हुई है। संयुक्त अरब अमीरात के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि साइनोफार्म की वैक्सीन की प्रभावी दर 86 प्रतिशत तक पहुंची है। मिस्र की स्वास्थ्य मंत्री हाला जायेद ने चीनी टीका लगाने के बाद इसकी सुरक्षा और कारगरता की प्रशंसा की।

वहीं, चीन की कोरोना वैक्सीन 2-8 डिग्री सेल्सियस में संरक्षित की जा सकती है, जो और आसानी से रखी जा सकती है। जबकि कुछ देशों के टीके को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस में संरक्षित करना पड़ता है और कुछ तो उत्पादन के बाद एक से दो हफ्तों में इस्तेमाल करना पड़ता है। इन टीकों का उत्पादन, परिवहन और भंडारण बहुत मुश्किल है।

इसलिए चीनी वैक्सीन महामारी को पराजित करने का शक्तिशाली हथियार बन गया है। चीनी वैक्सीन ने महामारी की रोकथाम में दुनिया के लिए आशा की किरण जगायी है और विश्वास मजबूत किया है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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