Samachar Nama
×

महिलाओं के मुकाबले आखिर पुरूष ही क्यों हो रहें हैं बांझपन के शिकार, जानें इसका कारण और निवारण

इस भागमभाग जिंदगी में इंसान ने खुद पर ध्यान देना ही छोड़ दिया है। ऐसे में इन वो कई गंभीर बीमारियों को शिकार हो रहा है। आज हम आप से जिस गंभीर बीमारी के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं वो दरअसल महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में ज्यादा हो रही है। जी हीं आप
महिलाओं के मुकाबले आखिर पुरूष ही क्यों हो रहें हैं बांझपन के शिकार, जानें इसका कारण और निवारण

इस भागमभाग जिंदगी में इंसान ने खुद पर ध्यान देना ही छोड़ दिया है। ऐसे में इन वो कई गंभीर बीमारियों को शिकार हो रहा है। आज हम आप से जिस गंभीर बीमारी के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं वो दरअसल महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में ज्यादा हो रही है। जी हीं आप समझ गए होंगे, दरअसल पुरूष बांझपन आजकल एक गंभीर बीमारी बनी हुई है जो एक चिंता का विषय है।

कहते हैं ना शरीर एक मंदिर के समान है इसलिए इसका ध्यान एक देवता की तरह रखना चाहिए। आजकल की युवा पीढ़ी नशे की इतनी आदी हो चुकी है कि उन्हें शरीर को स्वस्थ्य रखने की भी कोई चिंता नहीं रह गर्इ है।

पुरुष बांझपन के कारण— जरूरत से ज्यादा तनाव, ज्यादा काम, बुरी लाइफ स्टाइल, देर से शादी होना, नशे करना, मिलावट की चीजें खाना  आदि प्रमुख ऐसे कारण हैं जिससे पुरूष बांझपन के ज्यादा शिकार हो रहे हैं।

आपको बतादें कि ज्यादा मिलावट की चीजें खाने से भी पुरूषों में शुक्राणुओं की कमी देखने को मिल रही है। शुक्राणुओं की कमी ही बांझपन के कारणों को बढ़ाती है। ऐसे में मेरा अनुरोध है कि कृपया जितना कम हो सके आप बाहर की चीजें कम से कम खाएं।

डॉक्टरों का कहना है ज्यादा तनाव लेने से भी इंसान में शुक्राणुओं की कमी हो जाती है। इसलिए हमेशा खुशियां बांटे और खुद भी मुस्कुराते रहें जिससे आपका तनाव कम रहे।

नशे करना और देर से शादी करना भी बांझपन का मुख्य कारण बन रहा है।  अगर आप जरूरत से ज्यादा काम करते हैं तो शरीर को उतना आराम नहीं मिल पाता है जिसके कारण शरीर में शुक्राणुओं की कमी हो जाती है। इसलिए समय रहते शादी कर लें और हमेशा नशे से दूर रहें।

पुरूष बांझपन का मुख्य कारण शुक्राणुओं की कम होना है। पिछले एक दशक से पुरूषों में नि:संतानता के मामले बढ़े हैं। जिसमें महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों की संख्या ज्यादा है।

शुक्राणुओं की कमी के कारण—

जब अंडकोष में ज्यादा गर्मी हो तो शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट देखी गई है। गर्म वातावरण में काम करने वाले लोग जैसे हलवाई सुनार आदि।

ज्यादा समय तक लंगोट आदि नहीं पहनना चाहिए इससे उनके अंडकोष में गर्मी से ​शुक्राणुओं की संख्या में कमी होने लगती है।  ज्यादा फास्ट फूड खाने से भी शुक्राणुओं की फर्टिलीटी में कमी होने लगती है।

मोबाइल ज्यादा देर तक जेब में ना रखें, या फिर पैरों पर laptop रखकर काम करने वालों में शुक्राणुओं में कमी देखी गई है। शराब और धूम्रपान आदि के कारण भी स्पर्म में कमी होने लगती है। पुरूषों की प्रजनन क्षमता महिलाओं के मुकाबले 20 फीसदी कम होती है।

मशहूर ब्रिटीश मैगजीन मेडिकल के अनुसार पिछले पचास सालों में दुनियाभर के मर्दों में शुक्राणुओं की संख्या आधी रह गई हैं। 21 सदीं में पिता बनने की हसरत ही पुरूषों के लिए तनाव का प्रमुख कारण है।

बांझपन का मेडिकल कारण—

अंडकोष की नसों में सूजन, अंडकोष में किसी तरह का संक्रमण होना, हारमोन असंतुलन आदि के कारण स्पर्म की संख्या में कमी आती है।अन्य बीमारियाँ जैसे TB,म्‍मस, गोनोरिया(gonorrhea), टाइफाइड(typhoid),स्मल्पॉक्स (smallpox),influenza आदि की कारण भी स्पर्म में कमी होना लाजिमी है।

शुक्राणु कम होने पर विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। शुक्राणुओं में अनेकों प्रकार के विकार पाए जाते हैं जिसके चलते सामान्य से अधिक शुक्राणु होने पर भी संतान प्राप्ति में मुश्किल होती है। शुक्राणु की जाँच अत्याधुनिक माइक्रोस्कोप वह प्रशिक्षित लेब तकनीशियन के देख रेख में ही करवानी चाहिए

शुक्राणु की जाँच में ज़रूरी बातें—

Sperm Count (स्पर्म काउंट)

Sperm Motility (स्पर्म मोटिलिटी)

Sperm Morphology (स्पर्म मोर्फोलॉजी)

Sperm Vitality (स्पर्म वाइटॅलिटी)

शुक्राणु की मात्रा और गतिशीलता के अलावा यह भी जानना जरूरी है कि उसकी गुणवत्ता क्या है।

पुरुष बांझपन का  ऐसे कराएं उपचार—

इन 3 तकनीकी के माध्य से पुरूष बांझपन का उपचार करा सकते हैं—

1— आईयूआई   (IUI) – Intrauterine Insemination

2— आईवीएफ़   (IVF) – In Vitro fertilization

ICSI – Intracytoplasmic Sperm Fertilization

IUI Technique : डब्ल्यूएचओ के अनुसार 15ml/cc से ज्यादा शुक्राणुओं की मात्रा सामान्य है|अगर किसी दंपति में शुक्राणु की मात्रा 10 ml/cc से ज्यादा है तो ही वो IUI प्रक्रिया करवा सकते हैं| IUI प्रक्रिया में पति के वीर्य से पुष्ट शुक्राणु अलग कर एक पतली नली के माध्यम से पत्नी के गर्भ में छोड़ दिए जाते हैं|

IVF Technique : अगर किसी दंपति में 10 ml/cc से कम शुक्राणु पाए जाएँ तो वो IVF तकनीक के लिए जा सकते हैं| IVF तकनीक में पत्नी अंडा शरीर की बाहर निकाला जाता है, पति की वीर्य से पुष्ट शुक्राणु अलग कर लेब में अंडे वह शुक्राणु का निशेचन किया जाता है। 2-3 दिन में अंडे भ्रूण में परवर्तित हो जाते हैं| भ्रूण वैज्ञानिक इन में से आचे भ्रूण का चयन करते हैं और यह भ्रूण एक पतली नली के माध्यम से पत्नी के गर्भ में छोड़ दिए जाते हैं।

ICSI Technique – शून्य शुक्राणु वाले पुरुषों में टेस्टिक्युलर बाइयाप्सी (testicular biopsy) की जाती है। इसमें जहाँ स्पर्म बनते हैं वहाँ से एक टुकड़ा लेकर लेब (lab) में टिश्यू (tissue) की जाँच की जाती है। उस टिश्यू में स्पर्म की उपस्थती का पता लगाया जाता है। अगर उस टिश्यू में स्पर्म उपलब्ध होते हैं तो ICSI प्रक्रिया के माध्यम से इन स्पर्म से महिला के अंडाणुओं को फर्टिलाइज़्ड (fertilized) कर भ्रूण बनाया जा सकता है। इस तारह से अपने ही शुक्राणुओं से पिता बन सकते हैं। अगर टिश्यू में स्पर्म नही मिलते हैं तो डोनर स्पर्म की सहायता से पिता बन सकते हैं।

हेल्थ खबरों की लेटेस्ट जानकारी पाएं हमारे FB पेज पे.

अभी LIKE करें – समाचार नामा

Share this story