आयुर्वेद में अश्वगंधा का क्या है उपयोग क्या है ये दवा ?
जयपुर । अश्वगंधा का नाम हम सभी ने कहीं न कहीं सुन हि रखा है । कई बार कुछ चीजों में खाया भी है जैसे भी बचपन में खाया गया चयवनप्राश इसमे आश्वगंधा पाया जाता है । पर कई लोग हैं जो की नही जानते हिन की आखिर यह होता क्या है ?
आज हम आपको बताने जा रहे है की आखिर अश्वगंधा होता क्या है और यह आयुर्वेद में क्यों महत्व रखता है इस बारे में । अश्वगंधा असल में एक औषधि है जिसका काम वात विकार को दूर करना , कफ-वात शामक, बल्यकारक, रसायन, बाजीकरण ,नाड़ी-बलकारक करना होता है ।
यह एक पोदधा होता है जिसकी जड़ को दवा के रूप में कम लिया जाता है । इतना हि नही इसके साथ हि यह पोदधा सारे भारत में आसानी से मिल जाता है इसके अलावा यह पोदधा विदेशो में भी पाया जाता है । यह आयुर्वेदिक औषधि है । पर इसका नाम इसके अंदर से आनेवाली गंध के कारण अश्वगंधा पड़ा है । इसकी पत्तियों और जडों में से अश्व के मूत्र जैसी गंध आती है जिसके कारण इसका नाम अश्वगंधा पड़ा है ।
इसका काम ?
अश्वगंधा की जड़ों के पाउडर का प्रयोग खाँसी एंव अस्थमा को दूर करने के लिये भी किया जाता है महिला संबधी बीमारियों , अधिक स्त्राव ,गर्भपात आदि में अश्वगंधा की जड़े लाभकारी होती हैं तंत्रिका तंत्र सबंधी कमजोरी को भी दूर करने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। गठिया एंव जोड़ो के दर्द को ठीक करने के लिये भी अश्वगंधा की जड़ों के चूर्ण का प्रयोग किया जाता है। अश्वगंधा की जड़ों को त्वचा सबंधी बीमारियों के निदान हेतु भी प्रयोग में लाया जाता है।