Samachar Nama
×

जानें भारतीय दर्शन के साथ योग के जुड़ाव के बारे में

भारतीय दर्शनशास्त्र में योग की बात हमेशा कही गई है, मन को वश मे रखने का एकमात्र तरीका योग बताया गया है। योग जिसका अर्थ होता है, जो भी पदार्थ बना है वह जिन मूल पदार्थों से बना है उन्हें जोड़कर संतुलित करना। इस कारण से भारतीय दर्शन हमेशा जोड़ने की बात करता है, वह हमेशा से ही विश्व को वसुधैव कुटंबकम् का महत्व बता रहा है।
जानें भारतीय दर्शन के साथ योग के जुड़ाव के बारे में

जयपुर। भारतीय दर्शनशास्त्र में योग की बात हमेशा कही गई है, मन को वश मे रखने का एकमात्र तरीका योग बताया गया है।  योग जिसका अर्थ होता है, जो भी पदार्थ बना है वह जिन मूल पदार्थों से बना है उन्हें जोड़कर संतुलित करना।  इस कारण से भारतीय दर्शन हमेशा जोड़ने की बात करता है, वह हमेशा से ही विश्व को वसुधैव कुटंबकम् का महत्व बता रहा है। जिसमें पूरे विश्व को एक परिवार माना जाता है।

जानें भारतीय दर्शन के साथ योग के जुड़ाव के बारे में

भारतीय दर्शन में सारे जीव जगत को एक समान दृष्टि से देखा जाता सभी चीजों मे संतुलन बनाने का काम किया जाता है। इसी तरह योग के लिए भी माना जाता है कि शारीरीक तत्वों को संतुलित कर मन, बुद्धि और शरीर में संतुलन बनाए रखना है। इसके साथ ही वर्तमान दौर में दौड़ भाग भरी जिंदगी के लिए योग को स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्व दिया जाता है।

जानें भारतीय दर्शन के साथ योग के जुड़ाव के बारे में

योग में चेतना का समावेश होता है, जो जागृत और संतुलित कर व्यक्ति सीधा संपर्क करता है। योग के माध्यम से कुंडलिनी जाग्रत करने का प्रयास किया जा सकता है। साथ ही योग शरीर को  चुस्त, लचीला और स्वस्थ्य बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते है।योग में सूर्य नमस्कार को काफी महत्व दिया जाता है।

जानें भारतीय दर्शन के साथ योग के जुड़ाव के बारे में

योग वर्तमान समय में विश्व को सनातन दर्शन देने में सफल रहा है। इसके साथ ही वर्तमान समय में योग को आध्यात्म से बाहर निकाल कर देखना जरुरी है, जिससे योग को और आगे बढाया जा सकें व लोगो तक इसको आसानी से पहुचाया जा सकें।

जानें भारतीय दर्शन के साथ योग के जुड़ाव के बारे में

भारतीय दर्शनशास्त्र में योग की बात हमेशा कही गई है, मन को वश मे रखने का एकमात्र तरीका योग बताया गया है। योग जिसका अर्थ होता है, जो भी पदार्थ बना है वह जिन मूल पदार्थों से बना है उन्हें जोड़कर संतुलित करना। इस कारण से भारतीय दर्शन हमेशा जोड़ने की बात करता है, वह हमेशा से ही विश्व को वसुधैव कुटंबकम् का महत्व बता रहा है। जानें भारतीय दर्शन के साथ योग के जुड़ाव के बारे में

Share this story