बादलों के चलने का राज़ क्या है आखिर? जानिए यहां पर
आसमान में नज़र दौड़ाते ही बादलों के ढेर नज़र आते हैं। कुछ बादल सफेद होते हैं, कुछ काले तो कुछ चितकबरे से। अक्सर जब हम चलते है तो ऐसा लगता है कि बादल भी हमारे साथ ही चहलकदमी कर रहे हैं, या फिर बारिश के मौसम में हम यह कह देते है कि बादल पानी लेने जा रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि बादलों का चलना किस वैज्ञानिक तथ्य पर आधारित है।
आसमान में लंबे-चौड़े आकार के बादल अक्सर हवा के कारण ही इधर उधर चलते हुए नज़र आते हैं। गौरतलब है कि पृथ्वी हमेशा एक ही दिशा में घूमती रहती है। लेकिन गौर किया जाए तो बादलों के लिए यह सिद्धांत काम नहीं करता है। बादल हवा के साथ ही चलते हैं। बादल बनने की प्रक्रिया भी बहुत निराली होती है।
आपको बता दे कि बादल में उपस्थित पानी समुद्रों, नदियों, तालाबों और झीलों से वाष्पीकरण की प्रक्रिया के द्वारा ही आता है। बादल में मौजूद यह पानी हालांकि देखने में हल्का लग सकता है, लेकिन इसका भी अपना एक भार होता है। बादलों में पाया जाने वाला यह पानी किसी सफेद पट्टी की तरह करीब एक से डेढ़ किलोमीटर तक लंबा-चौड़ा हो सकता है। बादल में मौजूद यह पानी सूरज की किरणों को परावर्तित करता है, इसी वजह से सामान्य तौर पर बादलों का रंग सफेद दिखाई देता है।
लेकिन जब बादलों में पानी की मात्रा बढ़ने लगती है तो ये काले और घने दिखने लग जाते हैं। एक अनुसंधान के अनुसार बादलों की गति लगभग 146 फीट प्रति सेकंड हो सकती हैं। पानी की बूंदों से बादल मोटे हो जाते हैं, और स्लेटी दिखने लगते हैं। बारिश के समय अक्सर बादलों की गति बढ़ जाती है, क्योंकि उस समय हवा का दबाव भी कम ज्यादा होता रहता हैं।