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नागरिकता कानून और एनआरसी में जानें अंतर

मोदी सरकार के विधेयकों में प्रथम- अवैध लोगों की पहचान कर उन्हें भारत से वापस बाहर करना है। दूसरा- गैर मुसलमान प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी को असम में लागू करने के निर्देश दिए थे। असम के लोगों का रजिस्टर पंजीयन जारी कर 19 लाख लोगों को इससे बाहर रखा।
नागरिकता कानून और एनआरसी में जानें अंतर

नागरिकता कानून को लेकर देशभर में विरोध जारी है। नागरिकता कानून के खिलाफ चिंगारी पुर्वोत्तर भारत से उठी। असम में इसे लेकर बड़े पैमाने पर विरोध रहा है। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस कानून में ऐसा क्या है जिसे लेकर इतना विरोध हो रहा है।

नागरिकता कानून और एनआरसी में जानें अंतर

मोदी सरकार के विधेयकों से दो बातें निकलकर सामने आई। प्रथम- अवैध लोगों की पहचान कर उन्हें भारत से वापस बाहर करना था। दूसरा- गैर मुसलमान प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी को असम में लागू करने के निर्देश दिए थे। असम के लोगों का रजिस्टर पंजीयन जारी कर 19 लाख लोगों को इससे बाहर रखा। सूची से बाहर लोगों को वैध दस्तावेज के साथ नागरिकता साबित करनी थी। 20 नवबंर को संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता से जुड़े दो कानूनों को केंद्र सरकार लागू करने जा रही है। इसमें से एक नागरिकता संशोधन और दूसरा एनआरसी है। भारत में नागरिकों की गिनती जिसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर या एनआरसी के नाम से जाना जाता है।

नागरिकता कानून और एनआरसी में जानें अंतर

अमित शाह ने कहा था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले बौद्ध, जैन, हिंदू, पारसी और इसाई समुदाय के लोगों को देश की नागरिकता देने से हैं। इसके अलावा एनआरसी के द्वारा जुलाई 1948 के बाद भारत में प्रवेश करने वाले अवैध निवासियों की पहचान कर भारत से उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों मणिपूर, असम मेघालय, मिजोरल नागालैंड, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में विरोध की लपटे ज्यादा देखने को मिली है। कथित तौर पर पड़ौसी राज्यों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगाल से हिंदू और मस्लिम बड़ी संख्या में अवैध तरीके से यहां आकर रह रहे हैं।

मोदी सरकार के विधेयकों में प्रथम- अवैध लोगों की पहचान कर उन्हें भारत से वापस बाहर करना है। दूसरा- गैर मुसलमान प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी को असम में लागू करने के निर्देश दिए थे। असम के लोगों का रजिस्टर पंजीयन जारी कर 19 लाख लोगों को इससे बाहर रखा। नागरिकता कानून और एनआरसी में जानें अंतर

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