आखिर लिपिड प्रोफाइल क्या होता है ? कब करवाना चाहिए इसका टेस्ट
जयपुर । लिपिड प्रोफाइल टेस्ट यह नाम हम सभी ने कहीं न कहीं कभी न कभी सुन रखा है । हम सभी के घर परिवार या रिशतेदारों के जरिये हम सभी ने यह नाम लगभग सभी ने ही सुन रखा है । पर अभी तक भी कई लोग ऐसे हैं जिनको इस बारे में जरा भी जानकारी नही है की यह आखिर होता क्या है इसकी जरूरत पड़ती क्यों है ? आइये आज हम आपको बताते हैं की क्या है यह और क्या काम करता है यह टेस्ट ? क्यों पड़ती है इसकी जरूरत ?
लिपिड प्रोफाइलटेस्ट, खून की जांच द्वारा किए जाने वाली विश्लेषण प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लीसेराइड की असामान्यताओं व जोखिम के बारे में पता लगाया जाता है, ताकि समय रहते विभिन्न प्रकार के बीमारियों को रोका या उपचार किया जा सके। यह जांच बीस साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को करानी चाहिए।शरीर में वसायुक्त पदार्थ लिपिड होता है, जो कोलेस्ट्रॉल , काईलोमाईक्रोन आदि के रूप में मौजूद होता है। यह लिपिड कई तरह से कार्य करते हैं, जिनमें से कुछ आहार द्वारा तो कुछ शरीर में ही निर्मित होते हैं।
शरीर में लिपिड यदि सही मात्रा में ही पाया जा रहा है तो वह माल मूत्र के द्वारा बाहर निकाल जाता है पर यदि रक्त में अत्यधिक लिपिड होने पर, खून की नसों में कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है, जिससे नसें संकुचित या जाम हो जाती हैं और रक्त संचार सही प्रकार से नहीं हो पाता।
क्या होता कोलेस्ट्रॉल :-
कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा एक चिकना पदार्थ होता है, जो शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल की पर्याप्त मात्रा विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करती है, जो अतिरिक्त वसा को पचाने में मदद करते हैं। 3/4 कोलेस्ट्रॉल, लिवर से और 1/4 कोलेस्ट्रॉल, भोजन से प्राप्त होता है। लेकिन अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल कई प्रकार की समस्या पैदा कर सकता है।
इस प्रकार की समस्या को एथ्रोसक्लेरोसिस या हाईपर-कोलेस्टेरॉलेमिया कहते हैं, जो समय के साथ बढ़ता रहता है। इसके प्रभाव से शरीर के सभी अंगों में रक्त संचार कम होने लगता है, जिससे दिल का दौरा या सदमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
लिपिड प्रोफ़ाइल स्तर :-
निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल:- एलडीएल (निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन) लिवर द्वारा निर्मित वसा यानि लिपिड को शरीर के सभी भागों तक छोटी- छोटी मात्रा में पहुंचता है। इसकी संतुलित मात्रा शरीर को स्वस्थ रखता है, लेकिन अत्यधिक मात्रा होने से दिल संबंधी रोग हो सकते है। इसीलिए कई बार इसे बुरा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है।
उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल:- एचडीएल (उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन) शरीर से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करता है, जो कोलेस्ट्रॉल को लिवर तक पहुंचाता और मल द्वारा बाहर निकालता है। यह कई बार ये सूजन को भी कम करता है। इसलिए इसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल कहते हैं।
अति निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल अति निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन (वीएलडीएल) में बहुत कम प्रोटीन गुण होते हैं, जिसका मुख्य कार्य लिवर द्वारा निर्मित ट्राइग्लिसराइड को वितरित करना है। इसकी अत्यधिक मात्रा रक्त धमनियों में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है, जिसके कारण दिल से जुड़े रोग हो सकते हैं।
ट्राईग्लीसेराइड कोलेस्ट्रॉल
ट्राईग्लीसेराइड, रक्त में बहुत कम मात्रा में पाया जाने वाला एक प्रकार का वसा है, जो शरीर व मांसपेशियों को ऊर्जा देता है। इसके बढ़ते स्तर से दिल संबंधी रोग निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन के मुक़ाबले कहीं ज्यादा होता है।
लिपिड प्रोफाइल प्रभावित होने पर कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लीसेराइड के स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए लिपिड प्रोफाइलयानि कोलेस्ट्रॉल की जांच नियमित समय पर बहुत ही जरूरी है। यह समस्या पूर्वजों से आनुवांशिक तौर पर भी मिल सकती है। इसलिए 45 वर्ष के बाद नियमित समय पर कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाएं।