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बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के सामने कौन सी है बड़ी चुनौतियां

बिहार विधानसभा चुनाव एक अलग ही परिस्थितियों के बीच लड़ा जा रहा है, कोरोनावायरस जैसी महामारी के बीच बिहार विधानसभा चुनाव में काफी चीजें बदल रही है। इस चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव को वर्चुअल रैली, पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का अभाव, पार्टी में वरिष्ठ नेताओं का इस्तीफा देना और उनकी कमी जैसी अनेक
बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के सामने कौन सी है बड़ी चुनौतियां

बिहार विधानसभा चुनाव एक अलग ही परिस्थितियों के बीच लड़ा जा रहा है, कोरोनावायरस जैसी महामारी के बीच बिहार विधानसभा चुनाव में काफी चीजें बदल रही है। इस चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव को वर्चुअल रैली, पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का अभाव, पार्टी में वरिष्ठ नेताओं का इस्तीफा देना और उनकी कमी जैसी अनेक परेशानियों का सामना तेजस्वी यादव को करना पड़ेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू अपनी वर्चुअल रैली की शुरुआत काफी पहले से कर चुकी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन रैलियों में नीतीश कुमार के तारीफों के पुल बांध चुके हैं। राजद इस वक्त वर्चुअल रैली के मामले में एनडीए गठबंधन से काफी पीछे नजर आ रहे हैं हालांकि राजद सोशल मीडिया पर इस वक्त काफी आक्रामक है।
राजद और तेजस्वी यादव के सामने एक और बड़ी चुनौती बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी भी है। लालू प्रसाद यादव 1980 के बाद पहली बार राजद के साथ चुनाव में मौजूद नहीं है। लालू प्रसाद यादव एक अनुभवी नेता हैं उनका जेल में होना और राजद के साथ बिहार विधानसभा चुनाव में मौजूद ना रहना पार्टी के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
राजद के साथ एक और बड़ी चुनौती के तौर पर उनके नेताओं का इस्तीफा सामने आ रहा है राजद के सबसे बड़े दो वरिष्ठ नेताओं रघुवंश प्रसाद सिंह और सतीश गुप्ता का इस्तीफा देना भी पार्टी के लिए चुनाव में बेहद घातक साबित हो सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की जिम्मेदारी होती है कि वे पार्टी के मार्गदर्शक बने ऐसे में राजद से सबसे वरिष्ठ नेताओं का पार्टी छोड़कर चले जाना पार्टी को दिशा विहीन कर सकता है।
भाजपा ने बिहार चुनाव के ठीक पहले बिहार को परियोजनाओं की सौगात देना शुरू कर दिया था और नरेंद्र मोदी ने अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन बिहार में कर दिया है जोकि एनडीए गठबंधन के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। एनडीए गठबंधन के दोनों मुख्य पार्टियां इस वक्त सत्ता में है और इस बात का एनडीए गठबंधन को विशेष फायदा मिल सकता है। दोनों पार्टियों का सत्ता में मौजूद होना राजद के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर चुकी है।
ओवैसी और देवेंद्र यादव का गठबंधन बिहार चुनाव में राजद के लिए एक और चुनौती है जोकि उनके पारंपरिक मतदाता कहे जाने वाले मुस्लिम एवं यादव मतदाताओं का मत बांटने में सक्षम नजर आ रहा है। इस पर भी तेजस्वी यादव को गहरी चिंतन करनी चाहिए क्योंकि यह गठबंधन महागठबंधन के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है।

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