Vishwakarma Puja 2020: जानिए कैसे हुई भगवान विश्वकर्मा की उत्पत्ति
इस बार विश्वकर्मा पूजा दो दिन 16 सितंबर और 17 सितंबर को मनाया जा रहा हैं कुछ जगहों पर 16 सितंबर को भी विश्वकर्मा पूजा की जा चुकी हैं विश्वकर्मा जयंती साल में दो बार मनाई जाती हैं अधिकतर लोग कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा मनाते हैं वही राजस्थान और गुजरात में भगवान विश्वकर्मा का जन्म 7 फरवरी को मनाया जाता हैं ऐसा कहा जाता है कि अश्विन मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को भगवान श्विकर्मा का जन्म हुआ था। आज के दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति की स्थापना करते हैं और उनकी पूजा आराधना भी करते हैं विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना गया हैं इसलिए आज के दिन उद्योगों, कारखानो और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान विश्वकर्मा की उत्पत्ति से जुड़ी कथा, तो आइए जानते हैं।
भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर अलग अलग कथाएं प्रचलित हैं एक कथा के मुताबिक ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म थे। जिनकी पत्नी का नाम वस्तु था। वस्तु के सातवें पुत्र थे वास्तु, जो शिल्प शास्त्र के आदी थे। उन्हीं वासुदेव की अंगीरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। स्कंद पुराण में बताया जाता है कि धर्म ऋषि के आठवें पुत्र प्रभास का विवाह गुरु बृहस्पति की बहन भुवना ब्रह्मवादिनी के साथ हुआ था। ब्रह्मवादिनी ही विश्वकर्मा की मां थी। वही इसके अलावा वराह पुराण में इस बात का भी उल्लेख है कि सब लोगों के उपकारार्थ ब्रह्मा परमेश्वर ने बुद्धि से विचारक विश्वकर्मा को पृथ्वी पर उत्पन्न किया था।