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इस दिन मनाई जाएगी वट सावित्री अमावस्या

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या वट सावित्री अमावस्या कहलाती हैं इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्त करने के लिए वट सावित्री का व्रत व उपवास रखकर वटवृक्ष और यमदेव की पूजा करती हैं वही भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक माना जाता हैं पुराणों के मुताबिक वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और अग्रभाग में भगवान शिव का वास माना जाता हैं। इसे नीचे बैठकर पूजन व व्रतकथा आदि सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं
इस दिन मनाई जाएगी वट सावित्री अमावस्या

आपको बता दें, कि हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं मगर वट सावित्री का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता हैं। वही ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या वट सावित्री अमावस्या कहलाती हैं इस दिन मनाई जाएगी वट सावित्री अमावस्यावही इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्त करने के लिए वट सावित्री का व्रत व उपवास रखकर वटवृक्ष और यमदेव की पूजा करती हैं वही भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक माना जाता हैं वट सावित्री व्रत में वट और सावित्री, दोनो का भी बहुत ही विशेष महत्व होता हैं। वही आज हम आपको वट सावित्री पर्व के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।इस दिन मनाई जाएगी वट सावित्री अमावस्या

हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक पीपल के पेड़ के समान वट वृक्ष यानी की बरगद का वृक्ष भी बहुत ही विशेष और महत्वपूर्ण माना जाता हैं वही पुराणों के मुताबिक वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और अग्रभाग में भगवान शिव का वास माना जाता हैं। वही ऐसा भी कहा जाता हैं कि इसे नीचे बैठकर पूजन व व्रतकथा आदि सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं वही यह वृक्ष लम्बे वक्त तक अक्षय रहता हैंइस दिन मनाई जाएगी वट सावित्री अमावस्या वही इसलिए इसे अक्षयवट भी कहा जाता हैं। जैन और बौद्ध् भी अक्षयवट को अत्यंत पवित्र माना जाता हैं वही जैनों का मानना यह भी हैं कि उनके तीर्थकर भगवान ऋषभदेव ने अक्षयवट के नीचे बैठकर तपस्या की थी। वही प्रयाग में इस स्थान को ऋषभदेव तपस्थली या तपोवन के नाम से भी जाना जाता हैं। वही वटवृक्ष कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण माना जाता हैं।इस दिन मनाई जाएगी वट सावित्री अमावस्या

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या वट सावित्री अमावस्या कहलाती हैं इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्त करने के लिए वट सावित्री का व्रत व उपवास रखकर वटवृक्ष और यमदेव की पूजा करती हैं वही भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक माना जाता हैं पुराणों के मुताबिक वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और अग्रभाग में भगवान शिव का वास माना जाता हैं। इसे नीचे बैठकर पूजन व व्रतकथा आदि सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं इस दिन मनाई जाएगी वट सावित्री अमावस्या

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