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Valmiki jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती आज, जानिए कैसे बदला महर्षि वाल्मीकि का जीवन

आज यानी 31 अक्टूबर दिन शनिवार को वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही हैं आदि काव्य रामायण के रचयिता ज्ञानी महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस देशभर में मनाया जाता हैं कथाओं के मुताबिक वैदिक काल में महान ऋषि वाल्मीकि पहले डाकू थे। मगर जीवन की एक घटना ने उन्हें बदल दिया। वाल्मीकि असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे।
Valmiki jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती आज, जानिए कैसे बदला महर्षि वाल्मीकि का जीवन

आज यानी 31 अक्टूबर दिन शनिवार को वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही हैं आदि काव्य रामायण के रचयिता ज्ञानी महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस देशभर में मनाया जाता हैं कथाओं के मुताबिक वैदिक काल में महान ऋषि वाल्मीकि पहले डाकू थे। मगर जीवन की एक घटना ने उन्हें बदल दिया। Valmiki jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती आज, जानिए कैसे बदला महर्षि वाल्मीकि का जीवनवाल्मीकि असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे। शायद यही कारण था कि लोग आज भी उनके जन्मदिवस पर ​कई तरह के आयोजन करते हैं तो आज हम आपको वाल्मीकि जी के जीवन से जुड़ी जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Valmiki jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती आज, जानिए कैसे बदला महर्षि वाल्मीकि का जीवन

कहा जाता है कि वाल्मीकि का जन्म हर्षि कश्यप और अदिति की 9वीं संतान वरुण और पत्नी चर्षणी के घर हुआ था। बचपन में भील समुदाय के लोग उन्हें चुकारा ले गए थे और उनकी परवरिश भील समाज में ही हुई वाल्मीकि से पहले उनका नाम रत्नाकर हुआ करता था। रत्नाकर जंगल से गुजरने वाले लोगों को लूटता था। Valmiki jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती आज, जानिए कैसे बदला महर्षि वाल्मीकि का जीवनएक बार जंगल से जब नारद मुनि गुजर रहे थे तो रत्नाकर ने उन्हें भी बंदी बना लिया। तभी नारद ने उनसे पूछा कि ये सब पाप तुम क्यों करते हो। इस पर रत्नाकर ने उत्तर दिया। मैं ये सब अपने परिवार के लिए करता हूं। नारद हैरान हुए और उन्होंने फिर उससे पूछा क्या तुम्हारा परिवार तुम्हारे पापों का फल भोगने को तैयार हैं रत्नाकर ने निसंकोच हां में उत्तर दिया।Valmiki jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती आज, जानिए कैसे बदला महर्षि वाल्मीकि का जीवन

तभी नारद मुनि ने कहा इतनी जल्दी जवाब देने से पहले एक बार परिवार से तो पूछ लो। रत्नाकर घर लौटा और उसने परिवार के सभी लोगों से पूछा कि क्या कोई उसके पापों का फल भोगने के लिए आगे आ सकता हैं सभी ने इनकार कर दिया। इस घटना के बाद रत्नाकर बहुत दुखी हुआ और उसने सभी गलत काम छोड़ने का फैसला कर लिया। आगे चलकर रत्नाकर ही महर्षि वाल्मीकि कहलाएं।Valmiki jayanti 2020: वाल्मीकि जयंती आज, जानिए कैसे बदला महर्षि वाल्मीकि का जीवन

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