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जानिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व

हेमंत ऋतु में आने वाले मार्गषीर्श मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का इस साल क्षय हो गया हैं। 22 नवंबर को दशमी युक्त उत्पत्तिका, उत्पन्ना और वैतरणी एकादशी हैं। हिंदू शास्त्रों में दशमी युक्त एकादशी से दूर रहने को कहा गया हैं 22 नवंबर को इसका व्रत स्मार्त और 23 नवंबर को त्रिस्पृशा महाद्वादशी व्रत वैष्णव लोग रखेंगे।
जानिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व

सभी 24 एकादशियों में उत्पन्ना एकादशी को बहुत ही विशेष माना जाता हैं। यह हेमंत ऋतु में आने वाले मार्गषीर्श मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का इस साल क्षय हो गया हैं। 22 नवंबर को दशमी युक्त उत्पत्तिका, उत्पन्ना और वैतरणी एकादशी हैं। हिंदू शास्त्रों में दशमी युक्त एकादशी से दूर रहने को कहा गया हैं 22 नवंबर को इसका व्रत स्मार्त और 23 नवंबर को त्रिस्पृशा महाद्वादशी व्रत वैष्णव लोग रखेंगे। जानिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्ववही त्रिस्पृशा, जिसमें एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि भी हो, वह बड़ी शुभ मानी जाती हैं कोई ऐसी तिथि एक बार भी कर ले, तो उसे एक सौ एकादशी करे का फल प्राप्त होता हैं एकाशी माता श्री हरि विष्णु के शरीर से इसी दिन प्रगट हुई थीं उपवास में एकादशी को प्रधान और सब सिद्धियों को देने वाला मना जाता हैं एकादशी के दिन नदी आदि में स्नान कर, उपवास रख भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की लीलाओं का ध्यान करते हुए इनकी आराधना और दान आदि करना चाहिए।जानिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व

वही धर्मराज युधिष्ठिर ने जब उत्पन्ना एकादशी के बारे में श्रीकृष्ण से पूछा, तो उन्होंने कहा कि सत्ययुग में एक मुर नामक दैत्य था। जिसने इन्द्र सहित सभी देवताओं को जीत लिया। भयभीत देवता शिव से मिले तो, उन्होंने कष्ट दूर करने के लिए देवताओं को श्रीहरि के पास जाने को कहा। क्षीरसागर में शयन कर रहे भगवान विष्णु, इन्द्र सहित सभी देवताओं की प्रार्थना पर उठे और मुर दैत्य को मारने चन्द्रावतीपुरी गए। जानिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्वसुदर्शन चक्र के द्वारा उन्होंने अनगिनत दैत्यों का वध किया फिर वे बद्रिका आश्रम की सिंहावती नामक 12 योजन लंबी गुफा में सो गए। मुर ने उन्हें मारने का जैसे ही विचार किया, वैसे ही विष्णु के शरीर से एक कन्या निकली और उसने मुर दैत्य का वध कर दिया। वही जागने पर विष्णु को उस कन्या, जिसका नाम एकादशी था ने बताया कि मुर को भगवान के आशीर्वाद से उसने मारा हैं प्रसन्न होकर विष्णु जी ने एकादशी को सभी व्रतों में प्रधान होने का वरदान दिया। जानिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व

हेमंत ऋतु में आने वाले मार्गषीर्श मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का इस साल क्षय हो गया हैं। 22 नवंबर को दशमी युक्त उत्पत्तिका, उत्पन्ना और वैतरणी एकादशी हैं। हिंदू शास्त्रों में दशमी युक्त एकादशी से दूर रहने को कहा गया हैं 22 नवंबर को इसका व्रत स्मार्त और 23 नवंबर को त्रिस्पृशा महाद्वादशी व्रत वैष्णव लोग रखेंगे। जानिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व

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