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भगवान विष्णु से उत्पन्न हुई थी माता एकादशी

मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता हैं वही एकादशी का उपवास समस्य प्राणियों के लिए अनिवार्य माना गया हैं। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती हैं। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता श्री हरि से प्रकट हुई थी। इस दिन व्रत रखने से मन निर्मल हो जाता हैं
भगवान विष्णु से उत्पन्न हुई थी माता एकादशी

आपको बता दें कि मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता हैं वही एकादशी का उपवास समस्य प्राणियों के लिए अनिवार्य माना गया हैं। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती हैं। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता श्री हरि से प्रकट हुई थी। इस दिन व्रत रखने से मन निर्मल हो जाता हैं और शरीर भी स्वस्थ बना रहता हैं। भगवान विष्णु से उत्पन्न हुई थी माता एकादशीवही एकादशी व्रत सभी सिद्धियों का प्रदान करने वाला माना गया हैं। एकादशी के दिन उपवास रखकर श्री विष्णु का ध्यान करें। इस दिन दान का विशेष महत्व होता हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि जो भी मनुष्य एकादशी के दिन व्रत नहीं कर पाते हैं। उन्हें इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। एकादशी को चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।भगवान विष्णु से उत्पन्न हुई थी माता एकादशीभगवान विष्णु से उत्पन्न हुई थी माता एकादशीवही एकादशी की रात्रि में श्री विष्णु का जागरण करना चाहिए। इस व्रत में व्रती को बुरे कर्म करने वाले पापी, दुष्टों की संगत से बचना चाहिए। इस उपवास में सोलह चीजों से भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए और रात को दीपदान करें। एकादशी व्रत का पुण्य सबसे अधिक होता हैं भगवान विष्णु से उत्पन्न हुई थी माता एकादशीइस व्रत का प्रभाव देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना जाता हैं हिंदू मान्यताओं के मुताबिक इसी व्रत के प्रभाव से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति संभव हैं। इस व्रत में दान करने से लाख गुना वृद्धि का फल प्राप्त होता हैं। इस व्रत के प्रभाव से सभी तरह के पापों का नाश हो जाता हैं और जीवन में सुख शांति और वैभव की प्राप्ति होती हैं।

मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता हैं वही एकादशी का उपवास समस्य प्राणियों के लिए अनिवार्य माना गया हैं। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती हैं। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता श्री हरि से प्रकट हुई थी। इस दिन व्रत रखने से मन निर्मल हो जाता हैं भगवान विष्णु से उत्पन्न हुई थी माता एकादशी

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