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जानिए, उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने के नियम

व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का माना जाता हैं। एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता खत्म हो जाती हैं। धन और आरोग्य की प्राप्ति होती हैं। हार्मोन की समस्या भी ठीक होती हैं, तथा रोग दूर हो जाते हैं। उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति तथा मोक्ष के लिए किया
जानिए, उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने के नियम

व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का माना जाता हैं। एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता खत्म हो जाती हैं। धन और आरोग्य की प्राप्ति होती हैं। हार्मोन की समस्या भी ठीक होती हैं, तथा रोग दूर हो जाते हैं।जानिए, उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने के नियम

उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति ​तथा मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत होता हैं। माना जाता हैं,कि कैसी भी मानसिक समस्या हो इस व्रत से दूर हो जाती हैं। यह मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता हैंं इस बार यह उत्पन्ना एकादशी 03 दिसंबर को यानी आज मनाई जा रही हैं। जानिए, उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने के नियम

जानिए क्या हैं इस व्रत को रखने के नियम—
यह व्रत दो तरह से रखा जाता हैं। निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत। सामान्यत: निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए। अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए। इस व्रत में दशमी को रात्री में भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी को प्रात: काल श्री कृष्ण की पूजा की जाती हैं। इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता हैं।

आज के दिन क्या करने से बचना चाहिए—
बिना भगवान विष्णु को अर्घ्य दिए हुए दिन की शुरुआत न करें। अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दें रोली या दूध का प्रयोग न करें। अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो उपवास न रखें। केवल प्रक्रियाओं का पालन करें।जानिए, उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने के नियम

संतान की कामना के लिए आज क्या करना चाहिए—
प्रात: काल पति-पत्नी संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करें। उन्हे पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें।

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