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कृषि विधेयकों के विरोध में केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने दिया इस्तीफा,जानिए पूरा मामला

शिरोमणि अकाली दल की नेता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने संसद में पेश किए गए कृषि से संबंधित दो विधेयकों के विरोध में बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।हरसिमरत कौर बादल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री थी।और
कृषि विधेयकों के विरोध में केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने दिया इस्तीफा,जानिए पूरा मामला

शिरोमणि अकाली दल की नेता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने संसद में पेश किए गए कृषि से संबंधित दो विधेयकों के विरोध में बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।हरसिमरत कौर बादल राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री थी।और अकाली दल, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है।

हरसिमरत कौर ने ट्वीट किया,”मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।” वहीं हरसिमरत कौर के पति और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हम एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे और मोदी सरकार को समर्थन जारी रहेगा, लेकिन उसकी किसान विरोधी नीतियों का विरोध करेंगे।

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा, ”शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह इन विधेयकों का विरोध करती है।”

सुखबीर बादल ने यह भी कहा कि,”हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल की बैठक में चिंता प्रकट की थी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर प्रस्तावित कानून की खामियों के बारे में बताय था।” कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इस पार्टी का इस मुद्दे पर दोहरा मानदंड है और 2019 के लोकसभा चुनाव तथा 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उसके घोषणा पत्र में एपीएमसी अधिनियम को खत्म करने का उल्लेख था।

बताते चले कि किसानों से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर पंजाब के किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है,पूरे पंजाब में किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके खिलाफ रास्‍ता जाम कर रहे हैं।भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने इन बिलों को ‘कोरोना वायरस से भी बदतर’ बताया है. उन्‍होंने कहा कि यदि इन्‍हें लागू किया गया तो किसान, आढ़तिये और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे। इसके साथ ही इन विधेयकों को किसान विरोधी करार देते हुए राज्‍य के किसानों ने मांग की है कि इन्‍हें वापस लिया जाए।

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