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UN Human Rights विशेषज्ञ जापान के रेडियोधर्मी अपशिष्ट जल समुद्र में डालने के फैसले से निराश

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार विशेषों ने 15 अप्रैल को संयुक्त वक्तव्य जारी कर जापान सरकार द्वारा फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से अपशिष्ट जल के समुद्र में डालने के निर्णय के प्रति निराशा प्रकट की और कहा कि यह संभवत: प्रशांत सागर क्षेत्र के लाखों लोगों की जान और जीवन पर असर पड़ेगा। संयुक्त
UN Human Rights विशेषज्ञ जापान के रेडियोधर्मी अपशिष्ट जल समुद्र में डालने के फैसले से निराश

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार विशेषों ने 15 अप्रैल को संयुक्त वक्तव्य जारी कर जापान सरकार द्वारा फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से अपशिष्ट जल के समुद्र में डालने के निर्णय के प्रति निराशा प्रकट की और कहा कि यह संभवत: प्रशांत सागर क्षेत्र के लाखों लोगों की जान और जीवन पर असर पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र विषाक्त पदार्थों और मानव अधिकारों पर विशेष रिपोर्टर मार्कोस ओरेलाना, संयुक्त राष्ट्र खाद्य अधिकारों पर विशेष रिपोर्टर माइक फहरी, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार और पर्यावरण समस्याओं पर विशेष रिपोर्टर देव बॉयड ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि जापान सरकार का यह निर्णय चिंताजनक है। चूंकि लाखों टन के परमाणु अपशिष्ट जल के समुद्र में डालने के बाद अनेक लोगों की जान और पूरे वातावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाया जाएगा। यह संबंधित मानवाधिकार की गारंटी के लिए एक अति बड़ी धमकी है।

वक्तव्य में कहा गया कि जापान सरकार ने कहा कि परमाणु अपशिष्ट जल का तकनीक निपटारा करने के बाद इस में रेडियो आइसोटोप को मिटाया जा सकता है। लेकिन इससे पहले की जांच से जाहिर है कि यह तकनीक परमाणु अपशिष्ट जल में रेडियोलॉजिकल खतरा जोखिम को पूरी तरह नहीं खत्म कर सकती। साथ ही जापान सरकार ने परमाणु अपशिष्ट जल में रेडियोधर्मी सामग्री के खतरे का कम आकलन किया। इससे मानव जाति और पर्यावरण को दी गई धमकी संभवत: 100 वर्षों से लंबी हो सकेगी।

वक्तव्य में यह भी कहा गया कि समुद्र में डालने से परमाणु अपशिष्ट जल का निपटारा करना एकमात्र विकल्प नहीं है। जापान का निर्णय निराशाजनक है। जापान को तुरंत इस का पूरा आकलन कर खतरनाक पदार्थों के रिसाव को रोकना चाहिए, ताकि समुद्री वातावरण को नुकसान पहुंचाने के बजाय वह इसकी रक्षा करे।

न्यूज स़ोत आईएएनएस

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