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एपीएमसी मसले पर बोले Tomar, राज्य तय करेंगे कैसे चलेंगी मंडियां

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडियों के भविष्य पर शुक्रवार को कहा कि यह राज्य का मसला है और राज्य ही तय करेंगे कि मंडियां कैसे चलेंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विधेयक से मंडियां प्रभावित नहीं होगी। कृषि
एपीएमसी मसले पर बोले Tomar, राज्य तय करेंगे कैसे चलेंगी मंडियां

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडियों के भविष्य पर शुक्रवार को कहा कि यह राज्य का मसला है और राज्य ही तय करेंगे कि मंडियां कैसे चलेंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विधेयक से मंडियां प्रभावित नहीं होगी।

कृषि के क्षेत्र में सुधार के कार्यक्रमों को लागू करने के मकसद से लाए विधेयक से राज्यों की एपीएमसी मंडियों के भविष्य को लेकर पैदा हुई आशंकाओं को लेकर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि एपीएमसी एक्ट राज्यों का कानून है और इसके तहत संचालित मंडियां चलेंगी या रहेंगी यह राज्य का मसला है।

तोमर ने कहा, “मंडियां राज्य के एक्ट से बनती हैं। राज्य तय करेगा कि रखना है तो रहेंगी और नहीं रखना है तो नहीं रहेंगी। हमारा एक्ट मंडियों का प्रभावित नहीं करता है। ”

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 में एपीएमसी मंडी के बाहर कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री पर किसी प्रकार के शुल्क की व्यवस्था नहीं है, जबकि एपीएमसी द्वारा संचालित मंडियों में कृषि उत्पादों के विपणन पर मंडी शुल्क लगता है। ऐसे में मंडी के बाहर कारोबार होने से मंडी के भविष्य को लेकर आढ़ती व मंडी कारोबारी चिंतित हैं और वे इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक अन्य सवाल पर कहा कि किसान और सरकार के बीच कोई भ्रम की स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि किसान और सरकार के बीच कोई भ्रम की स्थिति नहीं है।”

तोमर ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के सवाल पर कहा, “न्यूनतम समर्थन मूल्य था, है और आगे भी रहेगा।”

कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 और किसान (सशक्तीकरण करना और सुरक्षा) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा विधेयक, 2020 गुरुवार को लोकसभा में पारित हुए। अब इन दोनों विधेयकों को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

विधेयक का विपक्षी दलों के साथ-साथ केंद्र की सत्ता में काबिज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का घटक शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने भी विधेयकों का विरोध किया है। शिअद कोटे से कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पारित होने से पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विधेयकों को किसान विरोधी बताया है।

हालांकि कृषि मंत्री का कहना है कि इन दोनों विधेयकों से किसानों के जीवन में खुशहाली आएगी।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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