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लक्ष्य की राह को छोडे बगैर जीवन में हासिल होगी सफलता

लक्ष्य हासिल करने के लिए जीवन में अपने लक्ष्य की राह को छोड़ना नहीं चाहिए, इस संबंध में एक कथा प्रचलित है जिसमें राजा अपने उत्तराधिकारी के लिए राज्य से योग्य युवक का तलाश करता है जिसमें राजा प्रजा को मेले का प्रलोभन देता है तभी वहां एक युवक ऐसा आया जो इन प्रलोभनों में नहीं फंसा, उसे सिर्फ अपने लक्ष्य तक पहुंचना था। वह सीधे राज महल की ओर चल पड़ा अंदर पहुंचते राजा ने उस युवक को राज्य का उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया।
लक्ष्य की राह को छोडे बगैर जीवन में हासिल होगी सफलता

जयपुर। हमारे प्राचीन शास्त्रों में कुछ ऐसी बातों का वर्णन किया गया है जिन बातों का संबंध हमारे जीवन से हैं। इसके लिए हमारे शास्त्रों में कुछ कथा भी प्रचलित है जिनके आधार पर हमें जीवन में सकारात्मक विचारों के साथ ही जीवन के लक्ष्य की प्राप्ती की राह आसान बनती है।

लक्ष्य की राह को छोडे बगैर जीवन में हासिल होगी सफलता

इससे संबंधित एक कथा के बारे में हम इस लेख में बता रहे हैं, एक बार एक बूढ़ा राजा इस बात की चिंता उसे सताने लगी की मेरे बाद इस राज्य को कौन संभालेगा?  राजा ने अपने गुरु से इस परेशानी का हर पूछा। गुरु ने कहा कि राजन् अपनी प्रजा में से किसी योग्य व्यक्ति को उत्तराधिकारी बना दें।

लक्ष्य की राह को छोडे बगैर जीवन में हासिल होगी सफलता

इसके बाद राजा को समझ आ गया और अपने मंत्री से कह प्रजा के बीच घोषणा करवा दी कि कल जो भी व्यक्ति सूर्यास्त से पहले मुझसे मिलने राज महल तक आ जाएगा,  उसे इस राज्य का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया जाएगा। ये बात सुनकर मंत्री ने कहा कि महाराज ये तो बहुत ही आसान है,  पूरी प्रजा ही राजा बनने के लिए यहां पहुंच जाएगी।

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तब राजा ने कहा कि ऐसा नहीं होगा,  मुझ तक सिर्फ योग्य व्यक्ति ही पहुंचेगा। मंत्री ने राजा की आज्ञा का पालन कर प्रजा में घोषणा करवा दी। जिसके बाद अगले दिन बड़ी संख्या में लोग उत्तराधिकारी बनने के लिए महल की ओर निकल पड़े। तो दूसरी ओर महल के बाहर राजा ने एक बड़े मेले का आयोजन किया था।
जिस मेले में शराब, नाच-गाना, तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान थे। इसके साथ ही कई तरह के खेल वहां हो रहे थे। पूरी प्रजा उस मेले में ही उलझ गई और इस बात को भूल गई की राजा से मिलने भी जाना है।

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तभी वहां एक युवक ऐसा आया जो इन प्रलोभनों में नहीं फंसा,  उसे सिर्फ अपने लक्ष्य तक पहुंचना था। वह सीधे राज महल की ओर चल पड़ा मुख्य द्वार पर दो पहरेदार खड़े थे। उन्होंने युवक को रोका, लेकिन वह किसी तरह उनसे बचकर राज महल में प्रवेश कर गया। अंदर पहुंचते राजा ने उस युवक को राज्य का उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया।

लक्ष्य हासिल करने के लिए जीवन में अपने लक्ष्य की राह को छोड़ना नहीं चाहिए, इस संबंध में एक कथा प्रचलित है जिसमें राजा अपने उत्तराधिकारी के लिए राज्य से योग्य युवक का तलाश करता है जिसमें राजा प्रजा को मेले का प्रलोभन देता है तभी वहां एक युवक ऐसा आया जो इन प्रलोभनों में नहीं फंसा,  उसे सिर्फ अपने लक्ष्य तक पहुंचना था। वह सीधे राज महल की ओर चल पड़ा अंदर पहुंचते राजा ने उस युवक को राज्य का उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया। लक्ष्य की राह को छोडे बगैर जीवन में हासिल होगी सफलता

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