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जैविक कचरे को इस तरह से उपजाऊ खाद में बदलेगी ये तकनीक

जयपुर। प्रदूषण इस समय में हद से ज्यादा बढ़ रहा है। कचरे की बढ़ती हुई समस्या को देखते हुए भारतीय प्रदूषण नियंत्रण एसोसिएशन (आईपीसीए) ने हाल ही में अपनी परियोजना एस.ओ.आर.टी. के तहत कचरे से खाद बनाने के लिए एक विशेष कूड़ापात्र बनाया है। आईपीसीए ने इस कूड़ापात्र ऐरोबिन लॉन्च किया है। आपको बता दे
जैविक कचरे को इस तरह से उपजाऊ खाद में बदलेगी ये तकनीक

जयपुर। प्रदूषण इस समय में हद से ज्यादा बढ़ रहा है। कचरे की बढ़ती हुई समस्या को देखते हुए भारतीय प्रदूषण नियंत्रण एसोसिएशन (आईपीसीए) ने हाल ही में अपनी परियोजना एस.ओ.आर.टी. के तहत कचरे से खाद बनाने के लिए एक विशेष कूड़ापात्र बनाया है। आईपीसीए ने इस कूड़ापात्र ऐरोबिन लॉन्च किया है। आपको बता दे कि एरोबिन एक ऐसा उपकरण है जो जैविक कचरे को महज 40 दिनों में उपजाऊ खाद बना देगा। एसोसिएशन ने इसके बारें में बताते है कि आजकल धरती कचरे के बोझ तले दबी हुई हैं।जैविक कचरे को इस तरह से उपजाऊ खाद में बदलेगी ये तकनीक

इसी वजह से जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिग जैसी भारी कई समस्याएं उत्पन्न हो रही है। इन समस्यों से निजात पाने के लिए ऐरोबिन नाम तकनीक को विकसित किया है। इस नई तकनीक को स्वर्ण लता मदरसन ट्रस्ट एवं आईपीसीए के सहयोग से विकसित किया गया है। नयी प्रौद्योगिकी परियोजना एस. ओ. आर. टी. के तहत ठोस कचरा प्रबंधन की समस्या को इस तकनीक के जरीये हल खोज लिया गया है।जैविक कचरे को इस तरह से उपजाऊ खाद में बदलेगी ये तकनीक

आपके घरों से निकलने वाले गीले कचरे में ग्रीनहाउस गैसों को कम करने की काबिलियत पाई जाती है शायद आपको इस बात का पता नहीं है। यदि गीला और सूखा कचरे के रूप में अलग-अलग डिब्बों में डाला जाए तो इससे कंपोस्ट खाद बना ली जा सकती है। आपको बता  दे कि इससे कचरा भूमि को नुकसान नहीं पहुंचता है इसके साथ ही ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी काफी कमी आती है। आपको जानकारी दे दे कि ऐरोबिन  तकनीक  दिल्ली के मयूर विहार औऱ उसके आसपास के इलाकों में प्रारंभिक चरण में लगाएं गए हैं।जैविक कचरे को इस तरह से उपजाऊ खाद में बदलेगी ये तकनीक

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