कुंडली में ग्रहों की ऐसी स्थिति कारण बनता है प्रेम विवाह में तलाक का
जयपुर। ज्योतिष के आधार पर कुंडली के देख कर भविष्य के बारे मे कई बातों का पता लगाया जा सकता है। ऐसे में अगर किसी से प्रेम करते हैं तो अपने प्रेमी से विवाह करने से पहले एक बार जरुर पढ़ें इस लेख को क्योकि कुंड़ली में ग्रहों की शुभ व अशुभ स्थिती का सीधा
जयपुर। ज्योतिष के आधार पर कुंडली के देख कर भविष्य के बारे मे कई बातों का पता लगाया जा सकता है। ऐसे में अगर किसी से प्रेम करते हैं तो अपने प्रेमी से विवाह करने से पहले एक बार जरुर पढ़ें इस लेख को क्योकि कुंड़ली में ग्रहों की शुभ व अशुभ स्थिती का सीधा प्रभाव वैवाहिक जीवन में देखने को मिलता है। आज हम इस लेख में कुड़ली में ग्रहों की स्थिति के बारे में बता रहे ंहैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- अगर कुड़ली में शनि, सूर्य, राहु, 12वें भाव के स्वामी (द्वादशेश) और राहु अधिष्ठित राशि के स्वामी हो तो ऐसे में ये पांच ग्रह रिश्ते को तोड़ने का काम करते हैं। इसके साथ ही किसी दो या अधिक ग्रहों की युति कुंडली के जिस भी भाव में होता है उस भाव को हानि पहुंचाते हैं।
- कुड़ली में सप्तम भाव और उसका स्वामी का संबंध दाम्पत्य जीवन से होता है, अगर इस भाव में राहु का प्रभाव होतो दाम्पत्य जीवन में परेशानी आती है|
- अगर किसी की कुड़ली में सप्तमेश जन्म लग्न से 6, 8, 12वें भाव मे हो या सप्तम भाव से 2, 6 या 12वें भाव में हो तो ऐसी स्थिति से वैवाहिक जीवन हमेशा तनावपूर्वक रहता है।
- सप्तम भाव में अगर बुध-शनि दोनों ग्रह होने से ऐसा व्यक्ति नपुंसक ग्रहों की युति में होने से स्वभाव से डरपोक बनाते हैं। ज्योतिष के आधार पर ऐसी स्थिती में विवाह नहीं करना चाहिये।
- कुड़ली में अगर सप्तम भाव में अगर शनि है तो दाम्पत्य जीवन में नीरस लाती है, अगर इस भाव में मंगल है तो व्यक्ति अल्प आयु का होता है, इसके साथ ही इस भाव में सूर्य के होने से आपसी मतभेद रहते है।