इस चमत्कारी अंगूठी को पहनने से आसानी से होगी हर मनोकामना पूरी
जयपुर। ज्योतिष में अष्टधातु का बहुत महत्व दिया जाता है, इसेदारण करने से कई पाप ग्रहों के दुष्प्रभाव और पीड़ा से बचा जा सकता है। अष्टधातु को धारण करने के लिए अंगूठी या अष्टधातु का कड़ा सबसे सही माना जाता है। इसके साथ ही भगवान की कई मूर्तियां भी अष्टधातु से बनाई जाती है।
अष्टधातु में आठ धातुओं का मिश्रण होता है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा शामिल है। ये सभी धातु में ऊर्जा होती है, इसे सही समय व ग्रहों की शुभ स्थिति में धारण किया जाता है तो इसका सकारात्मक प्रभाव मिलता है। आज हम इस लेख में अष्टधातु के बारे में कुछ खास जानकारी दे रहे हैं।
अष्टधातु को शुद्ध धातु का मिश्रण माना गया है, इसमें कोई भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं होती है। अगर जन्मकुंडली में राहु अशुभ स्थिति में है या उसकी महादशा चल रही है तो दाहिने हाथ में अष्टधातु का कड़ा धारण करने से राहु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- अष्टधातु का संबंध स्वास्थ्य से भी है, यह हृदय को बल देता है व हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार लाता है। हृदय की अनियमित धड़कन को संतुलित और नियमित करता है। अष्टधातु का कड़ा या अंगूठी धारण करने से अनेक रोगों में आराम मिलता है।
- इसे धारण करने से मानसिक तनाव दूर होता है, अष्टधातु वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है जिससे अनेक रोगों से बचाव होता है।
- अष्टधातु दारण करने से व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। सही समय पर सही निर्णय लेने से उसकी तरक्की और आर्थिक संपन्न्ता के मार्ग खुलते हैं।
- अष्टधातु को धारण करने से भाग्योदय होता है बिजनेस में प्रॉफिट और तरक्की मिलती है।