विलक्षण प्रतिभा के धनी थे यह वैज्ञानिक, जिन्होंने प्रोटीन की संरचना के रहस्य को सुलझाया
जयपुर। कुछ लोग जन्म से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं। ऐसे लोग अपने बेहतरीन काम की वजह से जाने जाते हैं। जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही मेधावी व्यक्तित्व की जिनका नाम है जी एन रामचन्द्रन। हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि श्री गोपालसमुन्द्रम नारायणा रामचन्द्रन भारतीय विज्ञान जगत में एक ऐसा नाम है जिन्हें 20वीं सदी के सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों में गिना जाता है।
दरअसल जीएन रामचन्द्रन ने आणविक जीव विज्ञान में कई महत्वपूर्ण अध्ययन किए हैं। साथ ही प्रोटीन की जटिल संरचना के बारे में नए तथ्य जुटाए। हम आपको बता दे कि जीएन रामचन्द्रन ने शरीर में पाए जाने वाले सबसे अहम यौगिक प्रोटीन का विस्तृत अध्ययन किया था। श्री रामचन्द्रन ने इस दौरान प्रोटीन की त्रिकुंडलीय संरचना की व्याख्या भी की थी। उसी कार्य को आज पूरी दुनिया रामचन्द्रन फाई-साई डायग्राम के नाम से पहचानती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि रामचन्द्रन प्लॉट नामक ग्राफ प्रोटीन की अनोखी संरचना के बारे में बताता है। इस शोध कार्य से शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन की त्रिविध रासायनिक यानी स्टीरियो केमिस्ट्री संरचनाओं को समझा जा सकता है। 8 अक्टूबर 1922 को केरल के अनार्कुलम में जन्मे रामचन्द्रन बचपन से ही बहुत मेधावी और प्रतिभावान थे। उनके पिता गणित के नामी प्रोफेसर थे, लेकिन उन्होंने रामचन्द्रन को गणित के साथ ही भौतिकी और रसायन विज्ञान में आगे खोज करने के लिए हमेशा प्रेरित किया।
हम आपको बता दे कि इस वैज्ञानिक की प्रतिभा को औऱ ज्यादा तराशने में महान वैज्ञानिक भारत रत्न सर डॉं. सी वी रमन का भी काफी अहम योगदान रहा था। रमन सर के मार्गदर्शन में ही रामचन्द्रन ने भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु से अपना शोध कार्य शुरू किया था। रामचन्द्रन ने कई ठोस पदार्थों, जैसे फ्लुओस्पार, हीरा तथा जिंक ब्लैंडी आदि की प्रकाश प्रत्यास्थता पर रमन सर के निर्देशन में अहम शोध कार्य किया था।