Samachar Nama
×

बिना सर्जरी के काम करेगा, नई तकनीक पर आधारित यह कृत्रिम हाथ

अभी तक किसी भी दुर्घटना में हाथ कट जाने पर उसकी जगह कृत्रिम हाथ लगाने के लिये ऑपरेशन किया जाता है। अब जल्द ही इस पीड़ा से मुक्ति मिल पाएगी। किसी हादसे में अपना हाथ गंवा देने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। जल्द ही प्रोस्थेटिक यानि कृत्रिम हाथ लगाने के लिए ऑपरेशन
बिना सर्जरी के काम करेगा, नई तकनीक पर आधारित यह कृत्रिम हाथ

अभी तक किसी भी दुर्घटना में हाथ कट जाने पर उसकी जगह कृत्रिम हाथ लगाने के लिये ऑपरेशन किया जाता है। अब जल्द ही इस पीड़ा से मुक्ति मिल पाएगी। किसी हादसे में अपना हाथ गंवा देने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। जल्द ही प्रोस्थेटिक यानि कृत्रिम हाथ लगाने के लिए ऑपरेशन या प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं रहेगी। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित कर ली है, जिसमें नसों पर सेंसर लगने के बाद बिना किसी ऑपरेशन के कृत्रिम हाथ लगा दिया जाएगा। इस कृत्रिम हाथ की कलाई और उंगलियां नसों पर लगे हुए विशिष्ट सेंसर के मुताबिक कार्य करेंगी। अभी तक आठ लोगों पर इस तकनीक का सफल परीक्षण किया जा चुका है।

बिना सर्जरी के काम करेगा, नई तकनीक पर आधारित यह कृत्रिम हाथ

जल्द ही इसे मेडिकल काउंसिल की मंजूरी के लिए भी भेजा जाएगा। बंगलुरू में आयोजित देश के सबसे बड़े फॉर्मा सम्मेलन में इस तकनीक को प्रस्तुत किया गय़ा था। इस तकनीक को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की ओर से मेड इन इंडिया अभियान की अब तक की सबसे बड़ी मिसाल बताया है। अभी तक एम्स और कोच्चि स्थित अमृता अस्पताल जैसे कुछ ही अस्पतालों में ही कृत्रिम हाथ का प्रत्यारोपण किया जाता रहा है। डॉक्टरों की माने तो एक प्रत्यारोपण में करीब 14 से 16 घंटे लगते हैं। साथ ही इसमें 20 लाख रुपये तक का खर्चा भी आता है। इसी कारण ज्यादात्तर लोग इसका फायदा नहीं ले पाते हैं। भारत में पहली बार किसी विदेशी नागरिक का हाथ प्रत्यारोपण 8 अगस्त 2017 को कोच्चि में हुआ था।

बिना सर्जरी के काम करेगा, नई तकनीक पर आधारित यह कृत्रिम हाथ

मॉडल के बारे में बताते हुए वैज्ञानिक अक्षय सक्सैना कहते है कि यह हाथ प्रत्यारोपण का एक बेहतरीन विकल्प है। भारत में कृत्रिम हाथ लगाने में लाखों रुपये का खर्चा आता है। यह तकनीक गरीबों को सस्ती सुविधा उपलब्ध कराने के लिए विकसित की गई है। इसमें बिना किसी ऑपरेशन के नकली हाथ लगा दिया जाएगा, जिसका सेंसर सिस्टम असली हाथ की तरह ही काम करेगा। मरीज की नसों पर लगाए सेंसर के अनुसार ही यह कृत्रिम हाथ काम करेगा। कुछ समय पहले ही इंजीनियर लेबरीन डीसा ने इस तकनीक पर शोध करना शुरू किया था। उनके बाद उनकी टीम में पांच और इंजीनियर्स ने मिलकर इस कृत्रिम हाथ को बनाना शुरू किया था।

बिना सर्जरी के काम करेगा, नई तकनीक पर आधारित यह कृत्रिम हाथ

सरकार की ओर से इस शोध पर 10 लाख रुपये और एक विशेष प्रयोगशाला की सुविधा प्रदान की गई है। अभी तक हुए शोध के अनुसार इस हाथ की पकड़ प्रक्रिया पर काम पूरा हो चुका है। मंजूरी मिलने के बाद ही इसकी कीमत तय की जा सकेगी। कहा जा रहा है कि एक लाख रुपये तक इसकी कीमत हो सकती है। इस नए शोध को वैज्ञानिकों ने रोबोबॉयोनिक्स नाम दिया है। इस तकनीक की पूरी जांच एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों की टीम ने की है। एम्स और आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिक इस टीम के मुख्य सदस्य थे। यह तकनीक आने वाले समय में गरीब दिव्यांगों के लिये एक नया जीवन लेकर आएगी।

Share this story