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इन लोगों की जिंदगी में नहीं रहती सम्मान की कमी

अगर हथेली के बीच का भाग दबा हुआ और गहरा हो, वही सूर्य और गुरु पर्वत पुष्ट, मजबूत और उभरे हुए हो, भाग्य रेखा शनि पर्वत के मूल को छूती हुई हो तो शुभकर्तरी योग बनता हैं वही जिस मनुष्य की हथेली में यह योग होता हैं वह तेजस्वी और चुंबकीय व्यक्तित्व का धनी माना जाता हैं अपने पूर्वजों से मिल संपत्ति में भी वृद्धि करने वाला होता हैं वही शारीरिक दृष्टि से ऐसा मनुष्य आकर्षक होता हैं। दोनों हाथो में भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारंभ होकर सीधी शनि पर्वत पर जाती हैं
इन लोगों की जिंदगी में नहीं रहती सम्मान की कमी

हस्तरेखा शास्त्रों के द्वारा व्यक्ति के जीवन में बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता हैं वही हथेली की रेखाएं भी मिलकर कई तरह के योग बनते हैं इनमें से एक हैं शुभकर्तरी योग। वही ज्योतिष के मुताबिक अगर हथेली के बीच का भाग दबा हुआ और गहरा हो, वही सूर्य और गुरु पर्वत पुष्ट, मजबूत और उभरे हुए हो, भाग्य रेखा शनि पर्वत के मूल को छूती हुई हो तो शुभकर्तरी योग बनता हैंइन लोगों की जिंदगी में नहीं रहती सम्मान की कमी वही जिस मनुष्य की हथेली में यह योग होता हैं वह तेजस्वी और चुंबकीय व्यक्तित्व का धनी माना जाता हैं उसके आसपास ऐश्वर्य और भौति सुख सुविधाएं बनी रहती हैं वही एक से ज्यादा साधनों से व्यक्ति को आय प्राप्त होता हैं और अपने पूर्वजों से मिल संपत्ति में भी वृद्धि करने वाला होता हैं वही शारीरिक दृष्टि से ऐसा मनुष्य आकर्षक होता हैं।इन लोगों की जिंदगी में नहीं रहती सम्मान की कमी

वही अगर दोनों हाथो में भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारंभ होकर सीधी शनि पर्वत पर जाती हैं और सूर्य पर्वत पूर्ण विकसित, लालिमा लिए हुए हो और उस पर सूर्य रेखा भी बिना कटी—फटी, पतली और स्पष्ट हो साथ ही मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा और आयु रेखा स्पष्ट हो तो इसे गजलक्ष्मी योग कहा जाता हैंइन लोगों की जिंदगी में नहीं रहती सम्मान की कमी वही जिस मनुष्य के हाथे में यह योग होता हैं वह साधारण परिवार में जन्म लेकर भी अपने शुभ कर्मों से उचच स्तरीय जीवनयापन करता हैं। वही ऐसे मनुष्य को जीवन में सम्मान की कोई कमी नहीं होती हैं और वह समसत ऐश्वर्य, सुख भोगता हैं ऐसे व्यक्ति समुद्र पार व्यापार करते हैं वही अगर नौकरी पेशा व्यक्ति हैं तो उच्च पदों पर आसानी से पहुंच जाता हैं।

अगर हथेली के बीच का भाग दबा हुआ और गहरा हो, वही सूर्य और गुरु पर्वत पुष्ट, मजबूत और उभरे हुए हो, भाग्य रेखा शनि पर्वत के मूल को छूती हुई हो तो शुभकर्तरी योग बनता हैं वही जिस मनुष्य की हथेली में यह योग होता हैं वह तेजस्वी और चुंबकीय व्यक्तित्व का धनी माना जाता हैं अपने पूर्वजों से मिल संपत्ति में भी वृद्धि करने वाला होता हैं वही शारीरिक दृष्टि से ऐसा मनुष्य आकर्षक होता हैं। दोनों हाथो में भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारंभ होकर सीधी शनि पर्वत पर जाती हैं इन लोगों की जिंदगी में नहीं रहती सम्मान की कमी

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