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इन जानवरों के नहीं हैं किसी डॉक्टर की जरूरत

जयपुर। प्रकृति में कई जीव ऐसे है जो बिमार होने पर अपना इलाज खुद ही कर लेता है। कई जीव जो अपना प्राकृतिक इलाज करते हैं। जैसे कई बार आपने कुत्ते को घास खाते देखा होगा। वो जब ऐसा करते है जब वो बीमार हो जाते है। घास खाने से उनके पेट के शांति मिलती
इन जानवरों के नहीं हैं किसी डॉक्टर की जरूरत

जयपुर। प्रकृति में कई जीव ऐसे है जो बिमार होने पर अपना इलाज खुद ही कर लेता है। कई जीव जो अपना प्राकृतिक इलाज करते हैं। जैसे कई बार आपने कुत्ते को घास खाते देखा होगा। वो जब ऐसा करते है जब वो बीमार हो जाते है। घास खाने से उनके पेट के शांति मिलती है।

कुत्ते और बिल्लीइन जानवरों के नहीं हैं किसी डॉक्टर की जरूरत

बिल्ली और कुत्ते प्राकृतिक रूप से शुद्ध शाकाहारी नहीं होते हैं। लेकिन बीमार पड़ने पर पर विशेष किस्म की घास खाते हैं। घास खाने के उनके पेट गड़बड़ा जाता है और बीमार कर रही चीज उल्टी या दस्तक के साथ बाहर आ जाता है। जिससे उनको आराम मिलता है।

कापुचिन बंदरइन जानवरों के नहीं हैं किसी डॉक्टर की जरूरत

कापुचिन बंदरों के मच्छरों से बचने के लिए इंसान की तरह मच्छरदानी नहीं होती है। लेकिन मच्छरों से बचने के लिए वो अपने शरीर पर विशेष गंधर पेस्ट रगड़ते हैं। जिसकी गंध से परजीवी दूर भागते हैं। और उन्हें परेशान नहीं करते है।

छोटी मक्खियांइन जानवरों के नहीं हैं किसी डॉक्टर की जरूरत

फ्रूट फ्लाई कही जाने वाला बहुत ही छोटी मक्खियां परजीवी से लड़ने के लिए सड़ते फलों का सहारा लेती है। सड़े फलों से अल्कोहल बनता है। फ्रूट फ्लाई फलों में अंडे निकालती हैं जिसे विषाणु और परजीवियों खुद ब खुद मर जाते हैं।

मेमनाइन जानवरों के नहीं हैं किसी डॉक्टर की जरूरत

मेमना बड़ा भेड़ियां कीड़े की शिकायत होने पर भेड़ की तरह पौधे चरती है ऐसी घास जिसमें टैननिन की मात्रा बहुत अधिक हो। यह खाने से इसकी तबियत ठीक हो जाती है।और फिर बाद में सामान्य घास चरने लगती है।

 

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