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यहां पर स्थित है एक ऐसा मंदिर,जहां की जाती है व्हेल मछली की हड्डी की पूजा…

जयपुर, भारत में कई सारे मंदिर है। जो अपनी खासियत व चमत्कार के लिए जाने जाते है। वैसे भी भारत को आस्था का देश माना जाता है। यहां पर हर गली गांव में कई सारे मंदिर बने हुए है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां पर किसी
यहां पर स्थित है एक ऐसा मंदिर,जहां की जाती है व्हेल मछली की हड्डी की पूजा…

जयपुर, भारत में कई सारे मंदिर है। जो अपनी खासियत व चमत्कार के लिए जाने जाते है। वैसे भी भारत को आस्था का देश माना जाता है। यहां पर हर गली गांव में कई सारे मंदिर बने हुए है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां पर किसी भगवान की नहीं बल्कि मछली की हड्ड़ियों की पूजा की जाती है।यहां पर स्थित है एक ऐसा मंदिर,जहां की जाती है व्हेल मछली की हड्डी की पूजा… आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हम बात कर रहे है मत्सय माताजी के मंदिर की।  300 साल पुराने इस मंदिर का निर्माण गांव के ही मछुआरों ने करवाया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाने से पहले यहां रहने वाले सारे मछुआरे पहले मंदिर में माथा टेकते हैं, तभी वो वहां से जाते हैं। यहां पर स्थित है एक ऐसा मंदिर,जहां की जाती है व्हेल मछली की हड्डी की पूजा…कई लोगों का यह भी मानना है कि जब भी किसी मछुआरे ने समुद्र में जाने से पहले इस मंदिर के दर्शन नहीं किए तो उसके साथ कोई न कोई दुर्घटना जरूर हो जाती है। प्रभु टंडेल ने जब अपने सपने की पूरी बात लोगों को बताई तो लोगों ने उस व्हेल मछली को देवी का अवतार मान लिया और वहां मत्स्य माता के नाम से एक मंदिर बनवाया गया।यहां पर स्थित है एक ऐसा मंदिर,जहां की जाती है व्हेल मछली की हड्डी की पूजा… गांव के लोग बताते हैं कि प्रभु टंडेल ने उस मंदिर के निर्माण से पहले व्हेल मछली को समुद्र के तट पर ही जमीन के नीचे दबा दिया था। जब मंदिर निर्माण का काम पूरा हो गया तो उसने व्हेल की हड्डियों को वहां से निकालकर मंदिर में रख दिया।

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