नवजात शिशु को लेकर कई मिथक है जुड़े नहीं माने इनको सच
जयपुर । जब भी कोई नया नया काम हम करते हैं तो सबसे पहले उससे जुड़े मिथकों को सच मान कर काम करते हैं । और जब बात खुद के बच्चों की हो तो तो यह और भी ज्यादा बढ़ जाता है । जब भी कोई नया नया माता पिता की ड्यूटी निभा रहा होता है तो उनके मन में कई तरह के सवाकल होते हैं कई भरम होते हैं जिससे जुड़ी सच्चाई उनको पता नही होती है और वह बच्चे को लेकर और भी ज्यादा परेशान रहते हैं ।
आज हम आपको बताने जा रहे है की ऐसे कौनसे मिथक है जिनको माँ – बाप सच मान लेते हैं और बच्चे को खुद के साथ ही परेशान करते रहते हैं । आइये जानते हैं इस बारे में । की क्या है वह ? यह मिथक आपको सच्चाई से दूर रखते हैं और आपको अच्छी पेरेंटिंग की ज़िम्मेदारी के बीच परेशानी बन कर खड़े हो जाते हैं ।
जब बच्चे रोते है तो मांओं को लगता है कि उन्हेें भूख लगी है लेकिन ऐसा नहीं होता है। रोना बच्चो के बोलने का एक तरीका होता है जब भी वह अपने आसपास कुछ बदलाव महसूस करते है तो वह रोते है। जब नहा रहे हो, दूध पिला रहे हो या आपसे दूर भी होते है तो वह रोते है। ऐसे में जब आप उनके पास आते है तो बच्चे सुरक्षित महसूस करके चुप हो जाते है।
बच्चे वॉकर की मदद से जल्दी चलना सीख जाते है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। बच्चे धीरे-धीरे खुद ही चलना सीखते है आप हमेशा उनकी उंगली पकड़ कर चलना सिखाएं। वॉकर की मदद से जब वह चलते है तो उन्हें चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है। जब बच्चे वॉकर की मदद से चलते है तो गिरने के कारण उनकी नाजुक मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंच सकता है। से बच्चे का पेट भी भरेगा और बच्चे का वजन भी बढ़ेगा पर यह आपकी बड़ी गलती हो सकती है । उनको सिर्फ अपना दूध पिलाएँ और 6 महीने तक खुच भी ना दें ।
बच्चे को 6 महीने से पहले ही कुछ आहार देने लगना आपकी गलती है । कई लोगों को लगता है ऐसा करने