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पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग की कहानी कुछ इस प्रकार से

जयपुर। 1960 तथा 1970 के वैज्ञानिक निरिक्षणो मे पाया गया था कि मंगल और शुक्र ग्रह पृथ्वी के समान लगते है लेकिन इनका वातावरण पृथ्वी से बहुत भिन्न है। जिसके चलते इन पर जीवन संभव नहीं हो सकता है। शुक्र पर ग्रीनहाउस प्रभाव ने भट्टी बना रखी है जिससे उसका तापमान बहुत ही अधिक है।
पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग की कहानी कुछ इस प्रकार से

जयपुर। 1960 तथा 1970 के वैज्ञानिक निरिक्षणो मे पाया गया था कि मंगल और शुक्र ग्रह पृथ्वी के समान लगते है लेकिन इनका वातावरण पृथ्वी से बहुत भिन्न है। जिसके चलते इन पर जीवन संभव नहीं हो सकता है। शुक्र पर ग्रीनहाउस प्रभाव ने भट्टी बना रखी है जिससे उसका तापमान बहुत ही अधिक है। इसके तापमान से सीसा आसानी से पीघल सकता है। और बात करे मंगल की तो झीने वातावरण से इसका तापमान किसी फ़्रीजर जैसा कम है।पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग की कहानी कुछ इस प्रकार से

इससे यह सिद्ध होता है कि जलवायु एक बहुत ही नाजुक कारको से संतुलित होती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि  किसी ग्रह की जीवनदायी जलवायु एक छोटे से परिवर्तन से ही मृत्युदायी जलवायु बन सकती है और इसको बनने ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पृथ्वी पर प्राकृतिक प्रभाव जीवन के लिये आवश्यक माना जाता है। मानविय गतिविधियाँ जैसे जीवाश्म इंधन का ज्वलन, जंगलो की कटाई से इस ग्रह के प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव को तेज कर दिया है और इससे वैश्विक जलवायु परिवर्तन दिखायी दे रहा हैपृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग की कहानी कुछ इस प्रकार से

जिससे धरती नष्ट होनी की कगार पर आने वाली है। CO2 ऐसी गैस जो वातावरण मे उपस्थित कुछ अन्य गैस उष्मा को पकड़ कर रखती जिससे पृथ्वी का तापमान उष्ण बना रहता है। और पर्यावरण के लिए सबसे खतरनाक होता है। इसी कारण से जलवायु परिवर्तन हो रहा है कहीं पर घमाशान बारीश तो कहीं एक दम सूखा हो रहा है। इसके प्रभाव से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और सूरज आग उगल रहा है। कुछ दिनों में पानी और आग में घमाशान युद्ध होने वाला और यह दिन अब दूर नहीं है।पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग की कहानी कुछ इस प्रकार से

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