कैंसर के बाद दूसरी सबसे बड़ी गंभीर बीमारी कही जाती है लीवर सिरोसिस
जयपुर । लीवर हमारे शरीर का सबसे जरूरी हिस्सा होता है । आपने कई लोगों को देखा होगा की वह कभी मोटे नही हो पाते हैं खूब खाते हैं पर फिर भी उनका वजन बहुत ही सामान्य होता है या बहुत ही कम होता है । साथ ही ऐसे भी लोग देखे होंगे जो की बहुत ज्यादा गरिष्ठ भोजन करने से हमेशा बचते होंगे और कभी खा भी लिया तो खुद का बहुत ध्यान रखते नजर आएंगे ।यह वह लोग होते हैं जिनका लीवर बहुत ही कमजोर होता है ।
लीवर की बीमारी को कैंसर के बाद दूसरी सबसे बड़ी बीमारी कहा गया है क्योंकि जब इसमें ख्राभी आती है तो लीवर ट्रांसप्लांट अलावा इसके इलाज़ का कोई और चारा नही होता है । इस रोग में यकृत कोशिकाएं बडे पैमाने पर नष्ट हो जाती हैं और उनके स्थान पर फाइबर तंतुओं का निर्माण हो जाता है। यकृत की बनावट भी असामान्य हो जाती है, जिससे पोर्टल हाइपरटैंशन की स्थिति बन जाती है।
लीवर सिरोसिस की स्थिति तब उत्पन्न होती जब स्कार्रिंग /फाइब्रोसिस की वजह से लीवर के ऊतकों में परेशानी उत्पन्न हो जाये और वह क्रोनिक स्टेज पर पहुँच जाये। लीवर में यह समस्या ज्यादा शराब पीने से या पहले की कोई लीवर की बीमारी की वजह से उत्पन्न होती है और वह सिरोसिस में बदल जाती है। अगर आपका लीवर ज्यादा शराब पीने या अन्य किसी बीमारी की वजह से बार बार ख़राब होता है तो उसे रिपेयर करने में लीवर को समय लगता है जिसकी वजह से उस जगह पर स्कार टिश्यू पैदा हो जाते है जो लीवर के काम में बाधा उत्पन्न करते है । जिसकी वजह से लीवर काम करना बंद कर देता है और जैसे-जैसे सिरोसिस बढ़ता है, अधिक से अधिक स्कार टिश्यू बनते हैं, जिससे लिवर के कार्य करने में कठिनाई होती है जिसे विघटित सिरोसिस कहा जाता है।
एडवांस्ड लिवर सिरोसिस जीवन के लिए खतरा बन सकता है। सिरोसिस से होने वाला लीवर डैमेज को रोका तो नही जा सकता है लेकिन अगर लीवर सिरोसिस का निदान जल्दी किया जाता है और कारणों का पता लगा कर उसका भी इलाज सही समय पर किया जाता है, तो आगे की क्षति को सीमित किया जा सकता है और फिर शायद कभी लीवर सिरोसिस की समस्या वापस लौट कर ना आये।